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    कभी छात्राओं की पहली पसंद था मुजफ्फरपुर का चैपमैन, अब अस्तित्व पर संकट

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Wed, 09 Mar 2022 11:10 AM (IST)

    1936 में हुई थी चैपमैन राजकीय बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना। 1985 में स्कूल को अपग्रेड कर 11वीं और 12वीं की शुरू की गई पढ़ाई। 2500 छात्राएं यहां करती थीं पढ़ाई। 40 से अधिक शिक्षक थे नियुक्त वर्तमान में कई विषयों में शिक्षक ही नहीं।

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    जर्जर होकर गिरने के कगार पर स्कूल का भवन, अधिकारी नहीं ले रहे संज्ञान। फाटो : जागरण

    मुजफ्फरपुर, जासं। बेटियों को शिक्षित बना समाज के विकास में सहभागी होने के उद्देश्य से वर्ष 1936 में हाथी चौक के पास चैपमैन राजकीय बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना की गई थी। यहां नामांकन पाने के लिए पांच से छह हजार छात्राएं आवेदन देती थीं। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद महज 2,500 छात्राओं का दाखिला हो पाता था। उस समय छठी से 10वीं तक की पढ़ाई यहां होती थी। दो सत्रों में कक्षाएं चलती थीं। सुबह से शाम तक परिसर छात्राओं से गुलजार रहता था। जिले के सुदूर क्षेत्र में रहने वाली छात्राएं भी यहां पढऩा चाहती थीं। यहां का शिक्षण माहौल इतना बेहतर था कि छात्राओं को कभी अलग से ट्यूशन नहीं पढऩा पड़ता था। चार कक्षाओं के लिए शिक्षकों की संख्या 40 से अधिक थी। लेकिन कभी छात्राओं की पहली पसंद रहे इस विद्यालय के अस्तित्व पर वर्तमान में संकट में आ गया है। स्कूल भवन इतना जर्जर हो गया हैं कि यह धराशायी होने की कगार पर है। यहां का परीक्षा परिणाम 70 से 75 प्रतिशत होता था। समय के साथ इसमें निरंतर गिरावट आई है। पुराने शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के बाद कई विषयों में शिक्षक ही नहीं हैं। छात्राओं के लिए कंप्यूटर उपलब्ध नहीं हैं।

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    जलजमाव ने बिगाड़ दी स्कूल की सूरत

    रखरखाव के अभाव में स्कूल का भवन काफी जर्जर हो चुका है। रही-सही कसर पिछले वर्ष हुए भीषण जलजमाव ने पूरी कर दी। स्थिति यह हो गई कि उस इलाके का पूरा पानी स्कूल परिसर ही में जमा हो गया। गंदगी उपलाकर कक्षाओं में प्रवेश कर गई। इस कारण करीब तीन महीने तक स्कूल बंद रहा। स्कूल प्रशासन की ओर से कई बार प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने पर करीब तीन महीने बाद पंपसेट के माध्यम से पानी निकलवाया गया।

    इसबार स्कूल के सामने दो फीट ऊंची सड़क बन गई है। ऐसे में इसबार पिछले वर्ष से भी बदतर स्थिति होने की आशंका है। स्कूल में 30 से अधिक शौचालय हैं। वहीं परिसर में आरओ वाटर का वृहद प्लांट लगा हुआ है। परिसर चारों ओर पेड़ पौधों से हरा-भरा है।

    विदेशों में उच्च पदों पर आसीन हैं यहां से पढ़ी छात्राएं

    गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए स्कूल की ख्याति रही है। यहां की पूर्ववर्ती छात्राएं देश के विभिन्न हिस्सों के साथ विदेशों में भी उच्च पदों पर आसीन हैं। वर्तमान में स्कूल में नौवीं-दसवीं को मिलाकर कुल एक हजार और इंटर में पांच सौ छात्राएं नामांकित हैं। इंटर में मात्र दो शिक्षक हैं। वहीं मैट्रिक में संस्कृत व विज्ञान विषयों में शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में शिक्षण व्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। जो शिक्षक हैं भी उन्हें अन्य सरकारी कार्याें में लगाए जाने के कारण वे कक्षाओं में नहीं जा पाते।

    नहीं रहा अब पहले जैसा माहौल

    चैपमैन स्कूल के प्राचार्य डा. मदन कुमार चौधरी बताते हैं कि 1996 में उन्होंने स्कूल में योगदान दिया था। उस समय नामांकन के लिए आपाधापी रहती थी। शिक्षण व्यवस्था व अनुशासन के कारण स्कूल की ख्याति थी। कक्षाओं में इतनी भीड़ होती थी कि दो शिफ्ट में स्कूल चलता था। स्कूल में छात्राओं की संख्या अब भी है लेकिन पहले जैसा माहौल अब नहीं रहा। भवन जर्जर हैं और जलजमाव बड़ी समस्या रही है। इस ओर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की जरूरत है। तभी इस धरोहर को बचाया जा सकेगा। वहीं सभी विषयों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए।  

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