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    आपदा को अवसर बनाने की कोशिश, एक पिता ने बदल दी बेटे की मौत की तारीख; फर्जीवाड़े में सीआइ की भी मिलीभगत

    Muzaffarpur News मुजफ्फरपुर में एक शख्स ने मुआवजे के लालच में अपने पुत्र की मौत की तिथि से लेकर मृत्यु प्रमाणपत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक बदल दी। युवक के पुत्र की 2013 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उस समय मुआवजे का प्रावधान नहीं था। वर्ष 2015 के बाद मुआवजे का प्रावधान हुआ। आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। फिलहाल वह जमानत पर है।

    By Jagran NewsEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 01 Oct 2023 12:13 PM (IST)
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    मुआवजे के लिए बदल दी बेटे की मौत की तारीख

     प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर : फर्जीवाड़े की जमीन पर बच्चे की मौत को भी कैसे अवसर में बदला जा सकता है, उसका उदाहरण है मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड का मामला।

    इसमें अली नेऊरा निवासी मनोज ठाकुर ने अपने पुत्र की मौत की तिथि से लेकर, मृत्यु प्रमाणपत्र, प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक फर्जी तैयार की। इसके आधार पर सरकार से मिलने वाले चार लाख के मुआवजे का भुगतान करा लिया।

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    मिलीभगत के कारण गिरफ्तारी के बाद जेल जाने तक की बात को अंचल निरीक्षक (सीआइ) सुरेंद्र पासवान ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर छिपा लिया। दैनिक जागरण को मिले दस्तावेज से इस फर्जीवाड़े की परत दर परत बात सामने आ गई है। अब सीआइ पर कार्रवाई की बात कही जा रही है।

    बेटे की मौत के चार साल बाद का तैयार कराया फर्जी अभिलेख

    मनोज के पुत्र राजा कुमार की वर्ष 2013 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उस वक्त दुर्घटना में मौत पर मुआवजे का प्रावधान नहीं था। वर्ष 2015 के बाद से हादसे में मौत पर चार लाख रुपये मुआवजा का प्रावधान हुआ।

    मनोज ने मुआवजे के लिए पुत्र की मौत की तिथि चार साल बाद पांच जनवरी, 2017 को हादसे बताते हुए फर्जी प्राथमिकी तैयार कराई। इसके साथ ही फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि के साथ मुआवजे के लिए 20 सितंबर, 2019 को आवेदन किया।

    तत्कालीन सीआइ सुरेंद्र पासवान ने महज 10 दिनों में मामले में सबकुछ सही बताते हुए चार लाख मुआवजा की अनुशंसा कर दी। अंचल कार्यालय से अनुशंसा पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में आरटीजीएस से आवेदक मनोज ठाकुर के खाते में चार लाख का भुगतान कर दिया गया।

    कुछ लोगों ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत की तो तत्कालीन सीओ ज्ञान प्रकाश ने नौ अक्टूबर को मीनापुर इलाहाबाद बैंक के शाखा प्रबंधक को पत्र लिखकर लाभार्थी के खाते में राशि होल्ड करा दी। साथ ही, शुरुआती जांच में गड़बड़ी देखते हुए पांच जनवरी, 2020 को मीनापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई।

    सुरेंद्र पासवान ने जेल जाने की बात छिपाई। अंचल कार्यालय को किसी स्तर से इसकी जानकारी नहीं मिली। अनुपस्थित अवधि में उसने अस्पताल में भर्ती होने की बात कही है। अब मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। - राजशेखर कुमार, अंचलाधिकारी कांटी, मुजफ्फरपुर

    सीआइ सुरेंद्र की संलिप्तता भी आई सामने

    आरोपित मनोज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। फिलहाल वह जमानत पर है। पुलिस जांच में सीआइ सुरेंद्र की संलिप्तता भी सामने आई। इस बीच उसका तबादला मीनापुर से कांटी हो गया। उसे एक फरवरी, 2022 को पुलिस ने गिरफ्तार कर बेनीपुर, दरभंगा जेल भेज दिया।

    चार फरवरी को सीजेएम कोर्ट से जमानत मिलने तक वह जेल में रहा। सुरेंद्र पासवान ने गिरफ्तारी और जेल जाने की बात छिपा ली। जमानत पर रिहा होने के बाद अस्पताल में भर्ती रहने के फर्जी कागजात तैयार कर कांटी अंचल कार्यालय में योगदान कर दिया। करीब एक साल मामला दबा रहा। सीआइ सुरेंद्र पासवान का कहना है कि मीनापुर सीओ ने मुझे इस मामले में फंसाया है।

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