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माता चामुंडा स्थान : यहीं हुआ था राक्षस बंधुओं चंड और मुंड का वध

मुजफ्फरपुर के कटरा गढ़ में अवस्थित चामुंडा स्थान बिहार के सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में हैं। यहां माता का पिंडीस्वरूप विद्यमान है। सालों भर यहां श्रद्धालु पूजा को आते हैं।

By Pramod PandeyEdited By: Published: Mon, 10 Oct 2016 03:44 PM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2016 10:04 PM (IST)
माता चामुंडा स्थान : यहीं हुआ था राक्षस बंधुओं चंड और मुंड का वध

मुजफ्फरपुर [जेएनएन ]। जिला मुख्यालय के पूर्वोत्तर में 30 किमी दूर स्थित है कटरा गढ़ में शक्तिपीठ चामुंडा स्थान अवस्थित है। देवी चामुंडा का स्वरूप पिंडनुमा है, जो स्वअंकुरित बताई जाती है। यहां सालों भर श्रद्धालु भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि यहीं पर चंड और मुंड का वध हुआ था। देवी पूजन के लिए सोमवार, बुधवार और शुक्रवार का दिन शुभ माना जाता है, इसलिए इन दिनों भीड़ अधिक होती है।

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सालोंभर नियमित होती है पूजा

प्रतिदिन प्रात:काल 6 बजे एवं सायंकाल 8 बजे चामुंडा माता की आरती होती है जिसमें पुजारियों के अलावा भक्तगण भाग लेते हैं। फिर भोग-राग के बाद दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खुल जाता है। दोपहर भोग-राग के बाद 12 से 1 बजे तक देवी के शयन का समय होता है और पट बंद रहता है।

माता का स्वरूप वैष्णवी है इसलिए फल और मिष्ठान्न ही चढ़ाया जाता है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर नौ दिवसीय विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है। सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। नए वाहनों की पूजा होती है। दशहरा में अष्टमी तिथि को देवी की विधिवत पूजा होती है जिसमें समस्त ग्रामीण भाग लेते हैं। इस अवसर पर भव्य मेला भी लगता है।

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अलौकिक है मंदिर का इतिहास

शास्त्रीय आख्यानों के अनुसार चंड-मुंड असुर बंधुओं का संहार देवी ने इसी स्थल पर किया जहां वे विराजमान हैं। तभी से वे चामुंडा कहलाईं। कहते हैं कि इस ऐतिहासिक स्थल पर चंद्रवंशी राजाओं का साम्राज्य था। 13वीं सदी में चंद्रसेन सिंह नामक राजा यहां राज्य करता था और माता चामुंडा की आराधना कुलदेवी के रूप में करता था।

सदियों से जीर्ण-शीर्ण देवालय की जगह 1980 में नैमिषपीठाधीश्वर स्वामी नारदानंद सरस्वती के प्रिय शिष्य डॉ. शौनक ब्रह्मचारी की प्रेरणा व प्रखंड अधिकारी ब्रजनाथ सिंह के प्रयास से जनसहयोग द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।

धार्मिक न्यास करता है संचालन की व्यवस्था

मंदिर का संचालन बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा नियुक्त चामुंडा न्यास समिति करती है। इसके अध्यक्ष रघुनाथ चौधरी, सचिव कैलाश बिहारी सिह व कोषाध्यक्ष तारकेश्वर सिह हैं। मंदिर उत्तरोत्तर प्रगति पर है।

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आवागमन की व्यवस्था

मुजफ्फरपुर-दरभंगा मार्ग में 10 बें किमी पर मझौली से कटरा तक पक्की सड़क है जो सही स्थिति में है। मंदिर पहुंचने के लिए ऑटो तथा बस सेवा लगातार उपलब्ध है। वर्तमान में कटरा प्रखंड मुख्यालय से मंदिर परिसर के बीच सड़क की दशा खराब है। बरसात के जलजमाव के कारण यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

कहते हैं प्रधान पुजारी

प्रधान पुजारी पंडित शिलानाथ झा कहते हैं कि जगत जननी माता चामुंडा सब पर कृपा करती हैं। सच्चे मन से आराधना करने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता। माता की कृपा से बीमार चंगा होकर गए हैं।

चामुंडा न्यास समिति के अध्यक्ष रघुनाथ चौधरी का कहना है कि चामुंडा माता की कृपा से निरंतर मंदिर का विकास हो रहा है। श्रद्धालुओं की निष्ठा और विश्वास के कारण सालों भर भीड़ रहती है। चढ़ावे से प्राप्त धन से मंदिर की व्यवस्था होती है तथा विकास कार्य होता है।


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