BRA Bihar University: कालेज के प्राचार्यों ने केवल गलत खर्च ही नहीं की अनियमित नियुक्ति का भी आरोप, अब होगी कार्रवाई
मुजफ्फरपुर के बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में अनियमित नियुक्तियों का मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय ने जांच के बाद प्राचार्यों को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को हटाने का निर्देश दिया है लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ है। वित्तीय अनियमितताओं को देखते हुए प्राचार्यों के वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाई गई है और मामले की जांच जारी है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। BRA Bihar University: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कई कालेजों में अनियमित नियुक्ति की बात सामने आई है। प्राचार्य ने अपने स्तर से नियुक्ति कर ली है। कई कालेज के प्राचार्यों पर गलत खर्च व अनियमित नियुक्ति के मामले में कार्रवाई हो सकती है।
बताते हैं कि कई अंगीभूत कालेजों में दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियुक्ति की गई है। विश्वविद्यालय की टीम अपने स्तर से इसकी जांच कर रही है। कालेजों से नियुक्ति प्रक्रिया व कर्मियों की योग्यता सहित अन्य कागजात मांगे गए हैं।
वहीं प्राचार्यों को तत्काल ऐसे कर्मियों को हटाने का निर्देश दिया है। आवश्यकता होने पर एजेंसी के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी रखकर काम कराया जाए।
आरएसएस महिला कालेज सीतामढ़ी में शिक्षक व कर्मचारियों के बीच हुए विवाद की शिकायत पर विश्वविद्यालय से जांच के लिए टीम गई थी। इस दौरान दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियुक्ति में मनमानी का मामला सामने आया।
कहा गया कि कालेज में गैर शैक्षणिक के आठ पद हैं, जिस पर चार स्थाई कर्मचारी नियुक्त हैं। वहीं चार रिक्त पदों पर तत्कालीन प्राचार्य ने 35 दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को रख लिया है।
विश्वविद्यालय ने दो साल पहले ही इन कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया था। सबसे बड़ी बात यह कि कर्मचारियों को वेतन भी मिल रहा है। वहीं विश्वविद्यालय के आदेश का अनुपालन अब तक नहीं किया गया है।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पिछले महीने विश्वविद्यालय को सौंपी है। सीतामढ़ी की घटना सामने आने के बाद अन्य कालेजों में भी अनियमित नियुक्तियों की छानबीन शुरू कर दी गई है।
पिछले महीने प्राचार्यों की बैठक में कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय ने कालेज स्तर पर नियुक्त कर्मियों को हटाने व आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्ति करने का निर्देश दिया था। अंगीभूत कालेजों में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से पिछले पांच वर्ष के आय-व्यय की समीक्षा की जा रही है।
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन ने नए प्राचार्यों की नियुक्ति तक सभी नियमित व प्रभारी प्राचार्यों के वित्तीय अधिकार पर इस अवधि में रोक लगाई गई थी। आरोप है कि इस दौरान कई कालेजों ने रोक के बाद भी खर्च किया।
विश्वविद्यालय की नजर खासतौर पर पांच मई से 22 जुलाई के बीच के खर्च पर है। कुलसचिव प्रो.समीर कुमार ने सभी प्राचार्यों को पत्र भेजकर वित्तीय मामलों में पारदर्शिता बनाए रखने को कहा है। रोक के बाद भी खर्च किए जाने पर कार्रवाई होगी।
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