सीतामढ़ी में कीटनाशक का काला कारोबार, सीमाई इलाके में सालाना चार करोड़ के पार
Sitamarhi News नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाके में फल फूल रहा है नकली कीटनाशक का अवैध धंधा। सवा सौ लाइसेंसी दुकान करीब चार से पांच करोड़ रुपये का सालाना कारोबार। धंधेबाजों पर नकेल नहीं कसने से बेखौफ पनप रहा अवैध कारोबार। लुट रहे किसान।
सीतामढ़ी, जासं। किसानों की फसलों की देखरेख में मदद करने के नाम पर इन दिनों बिक रहा कीटनाशक भी कारोबारियों के लिए काली कमाई का जरिया बन गया है। नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाके में नकली कीटनाशक का धंधा इन दिनों खूब फल फूल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, सालाना यह काला कारोबार चार से पांच करोड़ रुपये से पार होता है। इन क्षेत्रों में यह सिलसिला अर्से से जारी है। खरीफ व रबी मौसम में कारोबार रफ्तार पकड़ लेता है। किसान लूटे जा रहे हैं। एफिड नामक कीट नवंबर से फरवरी माह में सक्रिय रहता है। इसमें दोनों देश के तस्कर शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो भारत या नेपाल से सस्ती कीटनाशी खरीदकर दोनों देशों में ऊंची कीमत पर बेची जाती है। यहां नकली कीटनाशकों का भी जाल है।
धंधेबाज नकली प्रोडक्ट में ब्रांडेड कंपनियों का स्टीकर चस्पा कर बेच देते हैं। अङ्क्षसचित और देर से बोई फसल पर इसका प्रकोप अधिक रहता है। ये रस चूसने वाले कीट हैं। ये पारदर्शी, छोटे और मुलायम शरीर के होते हैं। अत्याधिक रस चूसने से पत्ती मर जाती है या समय से पहले बढ़ जाती है। नई पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। जड़ों के आधार पर पीले भूरे एफिड दिखाई पड़ते हैं। नकली कीटनाशक इनपर प्रभावी नहीं होते। सीमा से सटे इलाका होने के कारण कारोबारी तरह-तरह की दवाएं ब्रांडेड कंपनी का स्टीकर चिपकाकर आसानी से विभिन्न क्षेत्रों में खपाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। प्रशासन के स्तर पर पुख्ता कार्रवाई नहीं होने से ऐसे कारोबारी बेखौफ अंजाम देते हैं।
कभी बाढ़-सुखाड़ तो कभी मौसम की मार, कभी नकली कीटनाशक से किसान बेजार
जिले में करीब 125 कीटनाशक दवा केंद्र है। एक अनुमान के अनुसार, हर साल करीब चार से पांच करोड़ रुपये का कारोबार होता है। लेकिन, इस साल बारिश ने इस कारोबार पर गहरा प्रभाव डाला है। कीटनाशक दवा दुकान आशीष कुमार का कहना है कि बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। फसल ही मारी गई।उधर कई किसानों का कहना है कि एक तो बारिश ने फसल को चौपट कर दिया दूसरी ओर नकली कीटनाशक ने रही सही कसर पूरी कर दी।
नकली कीटनाशक के चलते फसल को नुकसान ही पहुंचा। जिस वजह से किसानों को आर्थिक बोझ पड़ा है। रबी फसल की बुआई में तमाम दिक्कतें आ रही हैं। जहां जलजमाव काफी दिनों तक कायम रह गया वहां की मिट्टी में नमी काफी है। जिस वजह से अभी तक किसानों आलू, मक्का व गेहू की खेती शुरू नहीं कर पाए हैं। डुमरा के एक किसान मो. कलाम का कहना है कि क्षति के बाद सरकार की ओर से मदद का भरोसा ही दिया गया है। लेकिन अभी तक कृषि विभाग के किसी कर्मी ने खेाज-खबर नहीं ली है।
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