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    क्या सुरेश शर्मा खेल पाएंगे अंतिम पारी...बिजेंद्र में कांग्रेस जताएगी भरोसा, कौन उठाएगा बस्ता, इस सीट पर बहुत मारामारी

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:08 PM (IST)

    Bihar Assembly Election 2025 उत्तर बिहार की राजधानी मुजफ्फरपुर की नगर विधानसभा सीट पर जबरदस्त घमासान देखने को मिलने की उम्मीद है। चुनाव और उम्मीदवार की घोषणा से पहले ही इसके संकेत मिल रहे हैं। राजनीतिक दलों को अपने-अपने उम्मीदवार तय करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। हर कोई इस रोचक संघर्ष का इंतजार कर रहा।

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    सुरेश शर्मा व बिजेंद्र चौधरी (फाइल फोटो)

     डिजिटल डेस्क, मुजफ्फरपुर। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) से पहले नए राजनीतिक प्लेयर के मैदान में उतरने से इस बार का चुनावी परिदृश्य बदला-बदला होगा। उत्तर बिहार की राजधानी मुजफ्फरपुर की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। खासकर नगर विधानसभा सीट पर।

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    दलों के अंदर भी राजनीति

    यहां तो चुनाव से पहले ही विभिन्न दलों में खींचतान शुरू हो गई है। किस दल से कौन उम्मीदवार होगा, इसके लिए दलों के अंदर की राजनीति इस समय चरम पर है।

    अपनों से भी मुकाबला

    चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों को न केवल प्रतिद्वंद्वियों से बल्कि अपने ही दल के नेताओं से भी मुकाबला करना पड़ रहा। विशेष रूप से एनडीए और आइएनडीआइए के बीच यह स्थिति अधिक है।

    सिटिंग विधायक पर आरोप

    मुजफ्फरपुर के चुनावी माहौल को देखा जाए तो अभी यहां से आइएनडीआइए की ओर से कांग्र्रेस के बिजेंद्र चौधरी विधायक हैं। विगत लोकसभा चुनाव के दौरान उनपर लगे आरोपों के बाद सिटिंग विधायक को लेकर सबकुछ साफ नहीं है।

    खुद को उम्मीदवार बता रहे

    इसके मद्देनजर उनके अपने दल के अन्य नेता सक्रिय हो गए हैं। यदि विधायक को जनता द्वारा घेराबंदी का सामना करना पड़ता है तो उनके अपने ही दल के नेता इसका लाभ उठाने में पीछे नहीं रहेंगे। यह स्थिति जिला स्तर से प्रदेश संगठन तक पहुंच रही है। कई नेता खुद को उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

    आलाकमान तक पहुंचा रहे बात

    सिटिंग विधायक बिजेंद्र चौधरी के खराब स्वास्थ्य और जनता से दूरी को लेकर उनकी पार्टी के नेता भी सवाल उठा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय निषाद की मदद नहीं करने का आरोप पहले से ही लगाया जा चुका है। संभावित नेता इन मुद्दों को पार्टी आलाकमान तक पहुंचा चुके हैं, ताकि उनका रास्ता साफ हो सके।

    डा. गौरव वर्मा ने टफ किया मुकाबला

    कई वर्षों से मेहनत कर रहे डा. गौरव वर्मा ने हाल ही में कांग्रेस में शामिल होकर उम्मीदवारी की दावेदारी पेश की है। वहीं, मयंक कुमार मुन्ना भी एक बार सीट से चुनावी मैदान में उतर चुके हैं और अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार मुकुल भी इस सीट और औराई में से एक मांग रहे हैं।

    कांग्रेस में भी चुनौतियां कम नहीं

    इस प्रकार, कभी उम्मीदवार के लिए तरसने वाली कांग्रेस के सामने भी चुनौतियों की कमी नहीं है। अरविंद मुकुल का कहना है कि पार्टी का जनाधार बढ़ने से उम्मीदवारी के विकल्प भी बढ़े हैं, लेकिन अनुशासन में रहकर ही उम्मीदवारी पर चर्चा होनी चाहिए।

    भाजपा में संभावितों की संख्या बढ़ रही

    अब बात एनडीए की करते हैं। समीकरण अनुकूल होने के बावजूद भाजपा ने पिछली बार यह सीट गंवा दी थी। सिटिंग सीट न होने के कारण पार्टी में संभावित उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। रोजाना एक नया चेहरा अपनी उम्मीदवारी के साथ मैदान में आ रहा है।

    सुरेश शर्मा अब भी डटे

    पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा की पिछली हार और उम्र को देखते हुए उन्हें भी संभावनाएं नजर आ रही हैं। हालांकि, सुरेश शर्मा अब भी डटे हुए हैं और कहते हैं कि जो भी कार्य हुआ, वह उन्होंने ही किया है।

    कई अन्य भी प्रयासरत

    दूसरी ओर, पूर्व जिलाध्यक्ष अपने कार्यकाल में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन का इनाम पार्टी से मांग रहे हैं। महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य डा. ममता रानी, महापौर निर्मला देवी, उपमहापौर डा. मोनालिसा, देवांशु किशोर, सावन पांडेय, देवीलाल समेत कई नेता अपने-अपने गुट के सहारे टिकट के लिए प्रयासरत हैं।

    देवांशु ने खोला कार्यालय

    देवांशु किशोर ने तो चुनाव कार्यालय भी खोल लिया है। इनमें से कई नेता यदि टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दलों या निर्दल के रूप में चुनावी मैदान में उतरते हैं तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

    जन सुराज में कम घमासान नहीं

    इसके अलावा पहली बार चुनाव में उतरने वाली जन सुराज में भी उम्मीदवारी को लेकर कम घमासान नहीं है। एसकेएमसीएच से सरकारी नौकरी छोड़कर डा. एके दास ने उम्मीदवारी की दावेदारी दी है, जबकि वार्ड पार्षद संजय केजरीवाल भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकने लगे हैं।

    कुछ ने तो प्रचार ही शुरू कर दिया

    रोचक यह है कि अधिकृत उम्मीदवार बनने से पहले पार्टी के नेता पिछले एक महीने से घर-घर जाकर समर्थन मांग रहे हैं। यह निश्चित है कि यदि पार्टी से टिकट नहीं मिला तो इनमें से कई नेता बागी बन सकते हैं।

    आंकड़ों में मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट

    बिहार विधानसभा चुनाव 2020

    प्रत्याशी  दल वोट वोट प्रतिशत
    बिजेंद्र चौधरी  कांग्रेस  81871  48.2
    सुरेश कुमार शर्मा  भाजपा  75543  44.4
    पल्लवी सिन्हा  द प्लुरल पार्टी  3522 2.1

    बिहार विधानसभा चुनाव 2015

    प्रत्याशी  दल  वोट  वोट प्रतिशत
    सुरेश कुमार शर्मा  भाजपा  95594  55.13
    बिजेंद्र चौधरी  जदयू  65855  37.98

    बिहार विधानसभा चुनाव 2010

    प्रत्याशी  दल  वोट  वोट प्रतिशत
    सुरेश कुमार शर्मा  भाजपा  72301  59.37
    मोहम्मद जमाल  एलजेपी  25862  21.24
    विवेक कुमार  निर्दलीय  10786  8.86
    मयंक कुमार  कांग्रेस  3683  3.03
    सूरज कुमार सिंह  सीपीआइ(एमएल)एल  1305  1.08

    स्रोत: चाणक्या