श्लोक अपहरण कांड: फिरौती की रकम के लिए अपहृत श्लोक के गुल्लक तोड़ जुटाए पैसे, नम थीं माता-पिता की आंखें
Shlok Kidnapping Case मुजफ्फरपुर में छात्र की किडनैपिंग के मामले में अब एक नई जानकारी सामने आई है। पता चला है कि जब किडनैपर्स ने फिरौती की रकम के लिए श्लोक के पिता को फोन किया तो उन्होंने अपने बेटे की गुल्लक तोड़ी और पैसे जुटाने शुरू किए। किसी तरह 1.42 लाख रुपये इकट्ठे कर सके।
प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। Bihar Student Kidnapping Case एक बिजली कंपनी की एजेंसी में महज 14 हजार रुपये मासिक पर काम करने वाले पप्पू कुमार सिंह के जीवन में यह बड़ा संकट था। अपहृत पुत्र श्लोक कुमार सिंह को मुक्त कराने में पुलिस की पूरी मदद मिल रही थी। वह पुलिस की तय रणनीति पर चल रहे थे। अपहर्ता को इस रणनीति की भनक नहीं लगे, इसलिए फूंक-फूंककर कदम रखा जा रहा था।
अपहर्ताओं ने 50 लाख रुपये फिरौती की रकम मांगी थी। सीधे इनकार पर श्लोक की जान को खतरा हो सकता था। इसे देखते हुए पुलिस की ओर से पप्पू को कुछ राशि तैयार रखने को कहा गया, ताकि अपहर्ता को चकमा दिया जा सके। एक-एक रुपया जोड़ा जाने लगा। जिस बेटी की जिंदगी दाव पर थी उसे बचाने के उसके गुल्लक को तोड़ना पड़ा। इसमें 3600 रुपये निकले। यह रुपये श्लोक ने मेले में खर्च करने के लिए जमा किए थे।
नम थीं माता-पिता की आंखें
गुल्लक तोड़ते समय श्लोक के माता-पिता की आंखें नम तो थीं, मगर बेटे की जिंदगी के लिए यह करना पड़ा। कुल मिलाकर एक लाख 42 हजार रुपये जमा हुए। रणनीति के तहत यह राशि लेकर पप्पू सिंह सीतामढ़ी स्टेशन जाकर अपहर्ता का इंतजार करते रहे। एसएसपी राकेश कुमार की मानें तो पुलिस श्लोक की सकुशल बरामदगी के लिए हर संभव विकल्प पर काम कर रही थी।
एक अपहर्ता कुमार सौरभ की सीतामढ़ी स्टेशन पर गिरफ्तारी के बाद पुलिस को छात्र की बरामदगी की उम्मीद जग गई। पेशेवर अपराधी नहीं होने के कारण एक-एक चीज की जानकारी पुलिस को सौरभ से मिलने लगी। भाग्य ने भी साथ दिया। श्लोक को दूसरा अपहर्ता कुमार गौरव सीतामढ़ी स्टेशन से करीब 20 किमी दूर रून्नीसैदपुर स्टेशन पर रखे हुए था।
करीब तीन घंटे तक किसी सवारी ट्रेन के यहां से नहीं गुजरने के कारण गौरव श्लोक को लेकर दूसरी जगह नहीं जा सका। इस बीच पुलिस वहां पहुंचकर श्लोक की बरामदगी कर ली।
रिक्शा और ऑटो वाले के मोबाइल का फिरौती के लिए किया उपयोग
श्लोक को मुक्त करने के लिए फिरौती की राशि की मांग अपहर्ता ने कभी भी अपने मोबाइल से नहीं की। इसके लिए रिक्शा और ऑटो चालक के मोबाइल का उपयोग किया। पॉकेट मारे जाने का बहाना बनाते हुए वह दूसरे का मोबाइल लेकर श्लोक के पिता को फोन कर फिरौती मांगता रहा। फोन करने के बाद वह डायल नंबर को डिलीट कर देता था।
पुलिस हर फोन वाली जगह पर पहुंचती तो पता चलता मोबाइल रिक्शा या ऑटो चालक का है। उनका इस अपहरण से कोई कनेक्शन नहीं मिला। कहते हैं अपराध करने वाला कुछ न कुछ गलती करता है। सौरभ ने लगातार कपड़े बदले, मगर पीठ पर लटकाने वाला बैग हमेशा एक रहा। पुलिस के लिए यह बैग ही महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ। इसके आधार पर ही वह पकड़ा भी गया।
बेहतर रणनीति पर टीम ने किया काम
एक वरीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि तीसरी के छात्र को मुक्त करने के लिए 50 पुलिस अधिकारी और जवानों की टीम बनाई गई थी। करीब 60 घंटे के अभियान में वे लगातार काम करते रहे। यहां तक कि सोए भी नहीं। यही कारण रहा कि श्लोक की सकुशल बरामदगी हुई।
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