Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar News: इंडिगो प्लांटेशन और तिरहुत स्टेट रेलवे का विषय शोधार्थियों को करेगा आकर्षित

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 05:45 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर कमिश्नरी अभिलेखागार में प्रथम विश्वयुद्ध इंडिगो प्लांटेशन और तिरहुत स्टेट रेलवे से जुड़े कई महत्वपूर्ण अभिलेख मौजूद हैं। इन अभिलेखों को पटना के राज्य अभिलेखागार में स्थानांतरित करने की तैयारी है। अभिलेखागार में नील की खेती से जुड़े 1917 के दस्तावेज और तिरहुत रेलवे के इतिहास से संबंधित अभिलेख भी शामिल हैं। मैथिली महासभा से जुड़े अभिलेख भी शोधार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।

    Hero Image
    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। कमिश्नरी अभिलेखागार में ऐसे कई महत्वपूर्ण अभिलेख सुरक्षित हैं, जो वर्तमान समय में शोधार्थियों को आकर्षित करेगा। यहां पर प्रथम विश्वयुद्ध, इंडिगो प्लांटेशन (नील की खेती) और तिरहुत स्टेट रेलवे के बारे से संबंधित अभिलेख उपलब्ध है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह शोधार्थियों के लिए शोध का विषय हो सकता है। इन अभिलेखों से कई ऐसी जानकारियां सामने आएंगी जो रोचक हो सकती है। हालांकि अब ऐतिहासिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण ये अभिलेख राज्य अभिलेखागार पटना में हस्तांतरित किए जा सकते हैं।

    मंगलवार को बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय की टीम ने इसका निरीक्षण किया था। इस दौरान उक्त अभिलेखों का अवलोकन किया गया। अभिलेखागार निदेशालय के निदेशक डा. मो. फैसल अब्दुल्लाह ने कहा कि उक्त अभिलेखों से संबंधित दस्तावेजों की कुछ तस्वीर भी उन्होंने ली है।

    इसमें अधिकांश अंग्रेजी और कुछ फारसी भाषा में है। इसमें 1917 में इंडिगो प्लांटेशन से संबंधित अभिलेख हैं। उस दौरान नील की खेती को लेकर प्रमंडल में ब्रिटिश शासकों द्वारा किसानों से किस प्रकार कार्य कराया जाता था, इसके संबंध में कई प्रमाण भी उपलब्ध है। साथ में उस समय की तस्वीरें भी है। जिसमें किसानों से नील की खेती कराते हुए अंग्रेजों को देखा जा सकता है।

    दरभंगा महाराज ने तिरहुत स्टेट रेलवे को किया था स्थापित

    तिरहुत स्टेट रेलवे की स्थापना 1874 में हुई थी। जिसका स्वामित्व दरभंगा महाराज और बाद में प्रांतीय सरकार के पास था। इसका मुख्य उद्देश्य उत्तर बिहार में रेल परिवहन प्रदान करना था।

    खासकर अकाल पीड़ितों के लिए मदद पहुंचाने में इसका उपयोग उस समय बहुत किया गया था। वर्ष 1943 में अवध और तिरहुत रेलवे में इसका विलय हो गया था। इससे संबधित तस्वीरें भी उपलब्ध है।

    इसके अलावा मैथिली महासभा भी शोध के लिए रोचक विषय हो सकता है कि किस प्रकार मैथिली भाषा और साहित्य के विकास को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाता था। यह 1910 में स्थापित की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य मैथिली भाषा को बढ़ावा देना और मैथिल संस्कृति को संरक्षित करना था।

    राज्य अभिलेखागार में रिसर्च रूम हो रहा विकसित

    निदेशक ने बताया कि राज्य अभिलेखागार में रखरखाव की बेहतर व्यवस्था है। वहां पर शोधार्थी भी पहुंचते हैं। इसे लेकर अलग रिसर्च रूम विकसित किया जा रहा है। इसलिए राज्य भर के अभिलेखागार का निरीक्षण कर वहां से ऐतिहासिक और प्रशासनिक महत्व वाले अभिलेखों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।