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    एक प्रोफेसर ने सैलरी लौटाई तो दूसरे ने किया अनूठा काम...बिहार के विश्चविद्यालयों की कक्षाओं से गायब विद्यार्थियों पर घमासान

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jul 2022 11:44 AM (IST)

    UNIQUE STORY बिहार के कालेजों व विश्वविद्यालयों की कक्षाआें में विद्यार्थियों की संख्या खतरनाक स्तर तक कम हो गई है। इसकी वजह से न केवल अभिभावक वरन प्रोफेसर की चिंता भी बढ़ने लगी है। बिहार यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. ललन कुमार ने तो सैलरी ही लौटा दी थी।

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    अब एलएनएमयू के प्रोफेसर ने इस दिशा में पहल की है। प्रतीकात्मक फोटो

    मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। UNIQUE STORY: बिहार में उच्चतर शिक्षा की स्थिति बदतर होती जा रही है। जहां एक ओर प्रोफेसर के क्लास नहीं लेने की शिकायत मिलती रहती है तो वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों के क्लास बंक करने की शिकायत भी अाम हो गई है। कुछ बच्चे तो ऐसे भी हैं जो नामांकन के बाद एक दिन भी कालेज या यूनिवर्सिटी आते ही नहीं। सीधे परीक्षा देने पहुंचते हैं। इस मुद्​दे को लेकर बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी से जुड़े एक प्रोफेसर डा. ललन कुमार ने अपनी सैलरी ही यूनिवर्सिटी को लौटा दी थी। उनका कहना था कि जब मैंने पढ़ाया ही नहीं तो सैलरी किस बात की। वहीं अब ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर रसायन विभाग के विभागध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने अभिभावकों को इस संबंध में पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने बच्चे की पढ़ाई में रुचि नहीं होने तथा उसका नाम काटने की बात कही है।

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    क्लास बंक करने पर नामांकन रद

    बिहार में एक के बाद एक मामले सामने आने के बाद कालेज या विश्वविद्यालयों में संचालित कक्षाओं में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति पर चर्चा तेज हो गई है। इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। इसी क्रम में एलएनएमयू के प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा के पत्र की खूब चर्चा हो रही है। यह पत्र तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने अभिभावकों से कहा है किस तरह से उनके बच्चे स्नातकोत्तर रसायन विभाग में नामांकन लेने के बाद भी पढ़ने के लिए नहीं आते हैं। उन्होंने कहा है कि इससे लगता है कि उसकी रुचि पढ़ने में नहीं है। इसलिए उसका नामांकन रद किया जा रहा है।

    परंपरागत पढ़ाई से नहीं मिल रही नौकरी

    ऐसा नहीं है कि यह केवल एक विभाग या एक विश्वविद्यालय का मामला है। बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का यही हाल है। कुछ विभागों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में छात्र क्लास नहीं आते हैं। जिसकी वजह से शिक्षकों की रुचि भी अध्यापन में कम होती जा रही है। हालांकि इसे एक ट्रेंड के तौर पर भी देखा जा रहा है। जिसमें लोगों का कहना है कि अभिभावक भले ही अपने बच्चों का नामांकन करवा देते हैं, लेकिन वे कुछ उस तरह की पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रेरित करते हैं जिससे रोजगार मिल सके। क्योंकि समाज में यह साफ अवधारणा बन गई है कि परंपरागता पढ़ाई के दम पर अब नौकरी नहीं मिलने वाली है।

    स्कूल में अच्छे संस्कार शिक्षक भी सिखाएं

    प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा की ओर से शिक्षा की धारा को बदलने की लगातार कोशिश होती रहती है। जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री खुद कर चुके हैं। उनके हालिया प्रयास की भी लोग सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि आज के विद्यार्थियों के जीवन की शैली में जो परिवर्तन आया है वह सबसे अधिक संस्कारों का है। आज का विद्यार्थी मेधावी, इंफार्मेशन टेक्नोलाजी में बहुत अधिक रुचि रखता है, लेकिन सुसंस्कारित नहीं है। अच्छे संस्कारों की कमी के कारण उठना, बैठना, बोलना, बड़ों का आदर सत्कार, माता-पिता, गुरुजनों के सम्मान में रुचि नहीं रखता है। इन सबका कारण माता-पिता के पास समय का अभाव एवं संयुक्त परिवार का कम होना है। स्कूल में अच्छे संस्कार शिक्षक भी सिखाएं। आज के शिक्षक एवं छात्र दोनों अंकों के खेल में व्यस्त हो गए हैं। उनका एक ही लक्ष्य सर्वाधिक अंक लाकर कुछ बनने का होता है। अध्यापक भी छात्रों के सर्वांगीण विकास के स्थान पर मानसिक विकास पर केंद्रित होते हैं।  

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