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    भवन तो दूर, मुजफ्फरपुर के एक हजार से अधिक स्कूलों में छात्र के अनुपात में कक्षा तक नहीं

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 05:56 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर जिले के सरकारी स्कूलों में भवन और कक्षाओं की कमी एक गंभीर समस्या है। हजारों स्कूल जर्जर भवनों में चल रहे हैं जिससे छात्रों की सुरक्षा खतरे में है। कई स्कूल भवन की प्रतीक्षा कर रहे हैं और छात्रों की संख्या के अनुपात में कक्षाएं कम हैं जिससे पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापकों से रिपोर्ट मांगी है ताकि सिविल वर्क किया जा सके।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Kitne Surakshit Hain School : जिले के सरकारी स्कूलों में भवन से लेकर वर्ग कक्ष की कमी बड़ी समस्या है। एक हजार से अधिक स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुपात में पर्याप्त कक्षाएं नहीं हैं। इसका सीधा असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है।

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    भवन के अभाव के कारण, छात्रों को कभी-कभी खुले में या असुरक्षित स्थानों पर भी बैठना पड़ता है। जिले के दर्जन भर स्कूल मठ, वफ्फ व अन्य स्थानों पर संचालित हो रहे हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान है।

    यहीं नहीं कई स्कूल जर्जर भवनों में चल रहे हैं। मीनापुर, सरैया, गायघाट, औराई, साहेबगंज समेत एक दर्जन प्रखंडों में कई ऐसे स्कूल हैं। यहां नया निर्माण नहीं होने से जर्जर भवन में ही बच्चों की पढ़ाई होती है।

    भवन की प्रतिक्षा में हजारों स्कूल भवन

    जिले में हजारों सरकारी स्कूल ऐसे हैं जो भवन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कई स्कूल स्थापनाकाल से ही दूसरे के रहमोकरम पर संचालित हो रहे हैं। आजादी से पहले नई तालीम स्कूल खुला, लेकिन आज तक जमीन मिली भवन। इन स्कूलों में छात्रों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। भवनहीन स्कूलों के बच्चे अपने भवन का इंतजार कर रहा है।

    छात्रों की संख्या के अनुपात में कम कक्षाएं

    कई स्कूलों में, छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन कक्षाओं की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है। इससे एक ही कक्षा में बहुत अधिक छात्रों को बैठना पड़ता है। शिक्षक के लिए व्यक्तिगत रूप से छात्रों पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है।

    जब कक्षाएं पर्याप्त नहीं होती हैं, तो छात्रों को खुले में या असुरक्षित स्थानों पर बैठना पड़ता है। जैसे कि बरामदे या क्षतिग्रस्त इमारतों में। इससे छात्रों के लिए खतरा पैदा हो सकता है, खासकर बारिश या तेज हवा के दौरान।

    एचएम की रिपोर्ट पर स्कूलों में होगा सिविल वर्क

    स्कूल के प्रधानाध्यापकों की रिपोर्ट के आधार पर ही सिविल वर्क होगा। कई स्कूल में भवन की जरुरत नहीं, लेकिन भवन कहीं बने और शौचालय कहीं। शिक्षा विभाग ने इस व्यवस्था में बदलाव कर स्कूल के प्रधानाध्यापक को अपनी समस्या भेजने को कहा है।

    यह रिपोर्ट ई शिक्षा कोष पोर्टल पर है। एचएम की रिपोर्ट के आधार पर बिहार अधारभूत संरचना सिविल वर्क करेंगे। राज्य मुख्यालय स्तर से एजेंसी तय होगी। उधर, सर्व शिक्षा अभियान डीपीओ सुजीत कुमार दास ने बताया कि जिन स्कूलों को भवन की जरुरत है, उन्हें भवन उपलब्ध कराया जाएगा।