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    केरल के राज्यपाल ने कहा विधि और निषेध ही भारतीय संस्कृति में धर्म, बिहार के राज्यपाल बोले- भारत ने दुनिया को रस्ता दिखाया

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 03:28 PM (IST)

    Bihar News श्रीकृष्णा जुबली ला कालेज में एलएलएम विभाग का शुभारंभ किया गया है। इस अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि धर्म अच्छी बातों को अपनाना और उसके अनुसार ही आचरण करना है। वहीं आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि जिस आचरण से दुनिया भी सुधर जाए और करने के बाद कल्याण हो वही धर्म है।

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    एसकेजे ला कालेज में आयोजित कार्यक्रम में बिहार और केरल के राज्यपाल। जागरण

     जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि विधि और निषेध को ही हमारी संस्कृति में धर्म कहा गया है। धर्म का अर्थ है अच्छी बातों को अपनाना और उसके अनुसार ही आचरण करना।

    उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सूत्र वाक्य का अर्थ बताते हुए कहा कि यतो धर्मस्ततो जयः। यानी सत्य और धर्म की हमेशा ही विजय होती है। जब सुप्रीम कोर्ट इस बात में विश्वास रखता है तो हमें धर्म का गलत अर्थ नहीं निकलना चाहिए। धर्म का अर्थ मजहब कभी भी नहीं है।

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    वे गुरुवार को श्रीकृष्णा जुबली ला कालेज में एलएलएम विभाग के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि भारत की संस्कृति ज्ञान की संस्कृति है। धर्म की व्याख्या को बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस आचरण से दुनिया भी सुधर जाए और करने के बाद कल्याण भी हो वही धर्म है।

    उन्होंने कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति का इस्तेमाल समाज में वंचितों को न्याय दिलाने में करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के युवा उच्च शिक्षा हासिल कर केवल अपने बारे में नहीं सोचें बल्कि देश के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करें।

    सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि एल एल एम कोर्स शुरू किए जाने का प्रस्ताव 15 वर्षों से अटका था लेकिन पूर्व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्य लेकर ने 15 दिनों में ही इस कोर्स को मान्यता प्रदान कर दी थी। उन्होंने इसके लिए पूर्व राज्यपाल के प्रति कृतज्ञता जाहिर की।

    कहा कि ला के कुछ सत्रों की परीक्षा लंबित है ऐसे में इसे व्यवस्थित करने की जरूरत है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीसी राय ने कहा कि विधि के विद्यार्थियों का यह दायित्व है कि वह अपने ज्ञान से समाज में न्याय स्थापित करें।

    महाविद्यालय की सचिव उज्ज्वला मिश्रा और अध्यक्ष एस के मिश्रा ने भी विचार रखे। इस अवसर पर विभिन्न कालेजों के प्राचार्य, सीनेट और सिंडिकेट के सदस्य, विभिन्न दलों के नेता कार्यकर्ता और छात्र-छात्राएं उपस्थित हुए।