Bihar Cold Alert: ठंड अभी बाकी है! बिहार में और बिगड़ेंगे हालात, मौसम विभाग के अपडेट ने बढ़ाई टेंशन
बिहार में ठंड का कहर जारी है। सुबह के समय घना कोहरा और आसमान में बादल छाए रहते हैं। दिन में हल्की धूप निकलती है लेकिन उसका खास असर नहीं दिखता। कनकनी बरकरार है। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक ठंड जारी रहने का पूर्वानुमान जताया है। उत्तर बिहार के दरभंगा एवं तराई के कुछ जिलों में कोल्ड डे (Bihar Cold Day Alert) जैसी स्थिति रह सकती है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। सुबह-सुबह कुहासा व आसमान में बादल छाए रहे। दिन में हल्की धूप निकली उसका खास असर नहीं दिखा। कनकनी बरकरार रही। जगह-जगह लोग अलाव जलाकर व घर में हीटर का उपयोग कर ठंड से बचाव करते दिखे।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्याल की ओर से जारी मौसम पूर्वानुमान में बताया गया है कि अगले दो दिनों तक ठंड (Bihar Weather News) बरकरार रहेगी। वरीय मौसम विज्ञानी डॉ. सत्तार ने बताया कि अगले पांच दिनों के मौसम पूर्वानुमान में उत्तर बिहार के जिलों में मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है।
उत्तर बिहार में कोल्ड डे जैसी स्थिति
सुबह में हल्के से मध्यम कुहासा छा सकता है। अगले दो दिनों तक ठंड बरकरार रह सकती है। उत्तर बिहार के दरभंगा एवं तराई के कुछ जिलों में कोल्ड डे (Bihar Cold Day Alert) जैसी स्थिति रह सकती है।
कैसा रहेगा तापमान?
पूर्वानुमान के अनुसार, अधिकतम तापमान 17 से 21 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 08 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। औसतन 5 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पछुआ हवा चलेगी।
25 जनवरी को हवा की रफ्तार थोड़ी ज्यादा हो सकती है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 90 से 95 प्रतिशत तथा दोपहर में 60 से 75 प्रतिशत रहेगी। ठंड व कनकनी रहेगी।
आम-लीची बाग में जुताई और सिंचाई से करें परहेज
आम व लीची के बाग में अभी के मौसम में निकाई-गुड़ाई नहीं करनी चाहिए। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्विवद्यालय की ओर से किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। वरीय मौसम विज्ञानी डॉ. ए. सतार ने बताया कि सब्जियों की फसल में सिंचाई करें तथा फूफूंदनाशक दवा का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आम एवं लीची के बागों में निकाई-गुड़ाई नहीं करें। ऐसा करने से पेड़ों में पुष्पण की क्रिया तथा फलन प्रभावित होगा। इससे पौधो में फलों के जगह नए पत्ते निकलने की संभावना बढ़ जाती है। बताया कि आलू की फसल की नियमित निरीक्षण करें।
आलू की फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप दिखायी दे तो इसके बचाव के लिए रिडोमिल नामक दवा का 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए। सब्जियों की फसल में सिंचाई करें। फ्रेंचबीन, पालक, मटर, फूलगोभी आदि फसलों पर सिंचाई करते रहे। फूफुंदनाशक दवा का प्रयोग करें।
अगर पत्तियों पर रोग के धब्बे दिखाई दें, तो मैन्कोजेब दवा का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। डॉ. सतार ने कहा कि पशुपालक दूधारु पशुओं के रख-रखाव एवं खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उनको खुले आकाश में नहीं बांधना चाहिए। इससे उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ सकता हैं।
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