Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार के इस जिले को कचरा मुक्त बनाने के लिए होगा भूमि अधिग्रहण, दोगुना-चौगुना मिलेगा मुआवजा

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 08:22 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर में नगर विकास एवं आवास विभाग अब भूमि अधिग्रहण भू-अर्जन अधिनियम के तहत करेगा। पहले भूमि की अनुपलब्धता के कारण निजी भूमि खरीदने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। नए नियम के अनुसार बाजार मूल्य के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा जिससे रैयतों को लाभ होगा। विभाग पर कचरा प्रबंधन में पिछड़ने के कारण एनजीटी ने जुर्माना भी लगाया है।

    Hero Image
    नगर विकास एवं आवास विभाग अब भू-अर्जन अधिनियम के तहत करेगा भूमि अधिग्रहण

    बाबुल दीप, मुजफ्फरपुर। राज्य के सभी जिलों में नगर विकास एवं आवास विभाग के तहत पर्यावरण की सुरक्षा और कचरा मुक्त शहर बनाने के लिए ठोस एवं अपशिष्ट प्रबंधन समेत अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके लिए सरकारी भूमि की तलाश की जा रही है, लेकिन कई जिलों में इसकी अनुपलब्धता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विभाग ने भूमि अनुपलब्धता की स्थिति में निजी जमीन क्रय करने का प्रावधान भी दिया गया। इसके बावजूद भी भूमि उपलब्ध नहीं हुई। इसके बाद लीज पर निजी भूमि का अधिग्रहण करने का निर्देश दिया गया, लेकिन यहां पर एमवीआर (मिनीमम वैल्यू रेट) बाजार मूल्य से कम होने के कारण पेच फंस गया। रैयतों ने इसमें रुचि नहीं ली।

    क्योंकि नगर विकास एवं आवास विभाग के तहत जो एमवीआर निर्धारित किया जाता है, वह बाजार मूल्य से बहुत कम होता है। साथ ही निर्धारित एमवीआर पर ही मुआवजा का भुगतान किया जाता है। इस कारण रैयत इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

    नियम में बदलाव किया गया

    इसे देखते हुए विभाग ने नियम में अब बदलाव कर दिया है। नगर विकास एवं आवास विभाग की जितनी भी योजनाएं क्रियान्वित होंगी और अगर इसमें भूमि की आवश्यकता पड़ेगी तो भू-अर्जन अधिनियम के तहत अधिग्रहण का कार्य किया जाएगा।

    इससे रैयतों को बहुत सहुलियत मिलेगी। इस अधिनियम के अनुसार बाजार मूल्य को ध्यान में रखते हुए एमवीआर तय किया जाता है और शहरी क्षेत्र में निर्धारित एमवीआर से दोगुणा और ग्रामीण क्षेत्र में चार गुणा अधिक मुआवजा राशि भुगतान किया जाएगा।

    विभाग के सचिव ने इस आशय से संबंधित आदेश जारी कर सभी को अवगत करा दिया है और इसका अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।

    इन योजनाओं का किया जाना है क्रियान्वयन

    राज्य के सभी जिलों के अंतर्गत शहरी क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का क्रियान्वयन शामिल है। इसके अलावा नाला, सड़क, प्रशासनिक भवन, सम्राट अशोक भवन, मोक्षधाम, शवदाह गृह, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और कंपोस्ट प्लांट का निर्माण शामिल है।

    इन योजनाओं को लेकर भी भूमि की आवश्यकता पड़ती है। इन सभी योजनाओं में अब भू-अर्जन अधिनियम के तहत ही भूमि अधिग्रहण किया जाएगा।

    विभाग पर लगाया गया चार हजार करोड़ रुपये का दंड

    कचरा मुक्त शहर बनाने के लिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत घर-घर से कचरा उठाव कर इसका निस्तारण किया जाएगा। इससे खाद समेत अन्य सामग्रियां बनाई जाएगी, लेकिन नगर विकास एवं आवास विभाग के इसके क्रियान्वयन में पिछड़ रहा है। इसपर एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाते हुए चार हजार करोड़ रुपये का दंड भी विभाग पर लगाया है।

    रौतनिया में बनेगा कूड़ा डंपिंग यार्ड एवं निस्तारण केंद्र

    शहर में कचरा प्रसंस्करण प्लांट का निर्माण स्मार्ट सिटीज 2.0 परियोजना के तहत किया जाएगा, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है और वित्तीय वर्ष 2026 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

    इस प्लांट में सूखा कचरा जैसे प्लास्टिक और कागज को मशीनों से अलग किया जाएगा, तथा जैविक कचरे से खाद बनाई जाएगी। रौतनिया में कूड़ा डंपिंग यार्ड एवं निस्तारण केंद्र का निर्माण किया जाएगा। यह निगम की अपनी भूमि है।