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    'भूमिहार ब्राह्मण' को लेकर बड़ा फैसला, राजस्व रिकॉर्ड में होगा स्पष्ट उल्लेख

    By PREM SHANKAR MISHRAEdited By: Ajit kumar
    Updated: Mon, 22 Dec 2025 12:58 PM (IST)

    Land Reforms Bihar: बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मुजफ्फरपुर में कहा कि राजस्व दस्तावेजों में अब जाति कॉलम में 'भूमिहार ब्राह्मण' ही दर् ...और पढ़ें

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    Bhumihar Brahmin Revenue Record: भूमि सुधार जन कल्याण संवाद का उद्घाटन करते उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवं अन्य नेता। जागरण

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar Revenue Document Update: राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि राजस्व दस्तावेजों में अब जाति कॉलम में भूमिहार ब्राह्मण ही दर्ज किया जाएगा। यह निर्देश उन्होंने मुजफ्फरपुर में आयोजित भूमि सुधार जन कल्याण संवाद कार्यक्रम के दौरान दिया।

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    राजस्व दस्तावेज से छेड़छाड़ की शिकायत

    संवाद कार्यक्रम में एक आवेदक सुखदेव ओझा ने मामला उठाते हुए बताया कि उनके राजस्व दस्तावेज से छेड़छाड़ की गई है। पहले दस्तावेज और खातियान में भूमिहार के साथ ब्राह्मण शब्द अंकित था, लेकिन अंचल कार्यालय स्तर से ब्राह्मण शब्द हटा दिया गया है।

    भ्रम खत्म करने की दिशा में पहल

    इस पर उपमुख्यमंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए प्रधान सचिव स्तर से अनुशंसा भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को सामान्य प्रशासन विभाग की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, ताकि आगे किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति न रहे।

    Vijay Kumar sinha in Muzaffarpur 1

    लापरवाही बर्दाश्त नहीं 

    कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पारदर्शिता के साथ काम करने के लिए पूरी तरह संकल्पित है। इसमें किसी भी तरह की अनियमितता या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गड़बड़ी करने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। वहीं, समय सीमा के भीतर कार्य नहीं करने वाले कर्मचारी या पदाधिकारी भी कार्रवाई से नहीं बचेंगे।

    क्या है बिहार का भूमिहार ब्राह्मण विवाद?

    बिहार में भूमिहार ब्राह्मण विवाद इन दिनों राजनीति, प्रशासन और सामाजिक विमर्श के केंद्र में है। यह विवाद मुख्य रूप से सरकारी दस्तावेजों, जाति प्रमाणपत्रों और राजस्व रिकॉर्ड में जाति के नाम को लेकर है- जहां वर्तमान में केवल “भूमिहार” दर्ज किया जा रहा है, जबकि एक वर्ग की मांग है कि इसे “भूमिहार ब्राह्मण” लिखा जाए।

     विवाद का मुख्य कारण

    बिहार सरकार द्वारा 2023 में कराए गए जाति आधारित सर्वेक्षण और मौजूदा सरकारी रिकॉर्ड में इस समुदाय को केवल भूमिहार के रूप में दर्ज किया गया है। भूमिहार संगठनों जैसे भगवान परशुराम परिषद का कहना है कि यह ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है। उनका तर्क है कि 1931 की जनगणना व पुराने खतियान (भूमि अभिलेख) में इस समाज की पहचान भूमिहार ब्राह्मण के रूप में दर्ज है। इसी आधार पर नाम को फिर से आधिकारिक दस्तावेजों में बहाल करने की मांग की जा रही है।

    सवर्ण आयोग की भूमिका 

    इस मुद्दे पर बिहार राज्य सवर्ण आयोग में कई स्तरों पर चर्चा हुई, लेकिन आयोग किसी सर्वसम्मति पर नहीं पहुंच सका।

    • आयोग में मतभेद: 5 सदस्यों में से 4 सदस्य नाम परिवर्तन के पक्ष में नहीं थे।
    • विरोध का तर्क: ब्राह्मण की पारंपरिक भूमिका पुरोहिताई मानी जाती है, जबकि भूमिहारों का मुख्य पेशा ऐतिहासिक रूप से खेती रहा है।
    • समर्थन का तर्क: समर्थकों का कहना है कि भूमिहार स्वयं को ‘अयाचक ब्राह्मण’ मानते हैं और उन्हें ऐतिहासिक रूप से यही पहचान मिली है। सहमति नहीं बनने पर आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है, जहां अंतिम निर्णय लंबित है।

    विवाद के पीछे की प्रमुख चिंताएं

    1. जमीन के मालिकाना हक का सवाल : यदि नए दस्तावेजों में केवल भूमिहार और पुराने खतियान में भूमिहार ब्राह्मण दर्ज रहा, तो इससे जमीन संबंधी विवाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

    2. सामाजिक अस्मिता और पहचान: यह विवाद केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक पहचान और प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है। ‘ब्राह्मण’ शब्द को अस्मिता से जोड़कर देखा जा रहा है।

    ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

    • पुराने समय में इस समाज को ‘बाभन’ कहा जाता था, जो ब्राह्मण शब्द का अपभ्रंश माना जाता है।
    • स्वामी सहजानंद सरस्वती ने भूमिहार समाज को संगठित किया और भूमिहार ब्राह्मण पहचान को वैचारिक आधार दिया।
    • 1931 की जनगणना में इस समाज को संयुक्त नाम से मान्यता दी गई थी।

    वर्तमान स्थिति

    • प्रशासनिक स्तर पर मामला अभी निर्णयाधीन है।
    • राजस्व रिकॉर्ड, जाति प्रमाणपत्र और सरकारी दस्तावेजों में नाम को लेकर स्पष्ट नीति का इंतजार है।
    • हालिया बयानों और कार्रवाइयों के बाद यह मुद्दा फिर से राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है।