Bihar Politics: 5 जिलों की 41 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन में आमने-सामने की भिड़ंत, बागियों पर भी नजर
छठ पर्व के साथ बिहार चुनाव का माहौल बन रहा है। गठबंधन के बीच मुकाबला है, पर बागी खेल बिगाड़ सकते हैं। एनडीए नुकसान रोकने में जुटा है, रैलियां हो रही हैं। मोदी ने विकास का खाका रखा। महागठबंधन में तेजस्वी और सहनी ने एकता दिखाई, पर राहुल की रैली अनिश्चित है। मुजफ्फरपुर में सीधा मुकाबला है, चंपारण में एनडीए मजबूत है। सीतामढ़ी में बागी उम्मीदवार से मुकाबला रोचक है।

5 जिलों की 41 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन में आमने-सामने की भिड़ंत
प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। छठ महापर्व के उल्लास के साथ बिहार विधानसभा चुनाव का रंग धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। उम्मीदवारी तय हो जाने के बाद तिरहुत के पांच जिलों के 41 विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबला दोनों गठबंधन के बीच दिख रहा, लेकिन कुछ सीटों पर बागी उनका खेल बिगाड़ने में लगे हैं। इससे वोटों का बिखराव रोकना बड़ी चुनौती है।
एनडीए ने डैमेज कंट्राेल शुरू कर दिया है। प्रदेश से लेकर दूसरे प्रदेशों और राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं का दौर तेज है। प्रत्येक विधानसभा में समीकरण के आधार पर नेताओं की सभा से मतदाताओं को साधा जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कर्पूरी की धरती कर्पूरीग्राम से एनडीए सरकार बनने के बाद बिहार की तरक्की का खाका जनता के सामने रख दिया है। एनडीए उम्मीदवारों के लिए यही बड़ी मजबूती इस चुनाव में साबित होने वाली है।
दूसरी ओर, महागठबंधन की पहली सभा शुक्रवार को हुई। तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी ने एक-दूसरे को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की माला पहनाकर यह संदेश देने का प्रयास कि सब ठीक है, मगर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सभा को लेकर अब भी अनिश्चितता है।
मुजफ्फरपुर की 11 सीटों में से अधिकतर में एनडीए और महागठबंधन में आमने-सामने की लड़ाई है। सबसे रोचक मुकाबला पारू, कुढ़नी और मुजफ्फरपुर सीट पर है। पारू के भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह का टिकट कटने और उनके निर्दलीय मैदान में डट जाने से एनडीए के रालोमो प्रत्याशी मदन चौधरी को कड़ी चुनौती मिल रही है।
कुढ़नी में मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां वोटों में सेंधमारी की आशंका है। मुजफ्फरपुर क्षेत्र से भाजपा के रंजन कुमार को कांग्रेस के बिजेंद्र कुमार से सीट छीनने की चुनौती है। यहां सिंबल बंटने के साथ भाजपा में विवाद की स्थिति को खत्म करने में संगठन के नेता लगे हैं।
एनडीए के गढ़ को भेदना महागठबंधन के लिए चुनौती:
चंपारण एनडीए का गढ़ है। पूर्वी चंपारण की सुगौली सीट चर्चा में है। यहां महागठबंधन प्रत्याशी का नामांकन रद हो गया। इससे लोजपा (आर) के राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता के लिए लड़ाई कुछ आसान दिख रही। उन्हें जन सुराज के अजय कुमार झा और जनशक्ति जनता दल के श्याम किशोर चौधरी कितनी चुनौती देंगे यह तस्वीर छठ बाद स्पष्ट हो सकेगी।
जिले की गोविंदगंज सीट भी चर्चा में है। यहां भाजपा के सीटिंग विधायक सुनील मणि तिवारी की जगह एनडीए से लोजपा के राजू तिवारी मैदान में हैं। निर्णय को सही साबित करने की उन्हें चुनौती होगी।
पश्चिम चंपारण में कांग्रेस ने विरासत का कार्ड खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पोते शाश्वत केदार पांडेय नरकटियागंज से उम्मीदवार हैं। भाजपा ने सीटिंग विधायक रश्मि वर्मा की जगह संजय पांडेय को उतारा है। इससे रश्मि नाराज थीं। निर्दलीय नामांकन भी किया था। बाद में पर्चा वापस लिया। इससे भाजपा को राहत मिली है।
सीतामढ़ी जिले की आठ सीटों में परिहार सबसे चर्चित है। यहां राजद से बगावत कर मैदान में उतरीं रितु जायसवाल मुकाबले को रोचक बना रही हैं। भाजपा ने विधायक गायत्री देवी को उतारा है। राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू डा. स्मिता पूर्वे की उम्मीदवारी से वैश्य वोटों का बिखराव तय है।
सीतामढ़ी सीट से पूर्व सांसद सुनील कुमार पिंटू को भाजपा ने आजमाया है। इससे आसपास की सीटों पर वैश्य वोटरों पर असर पड़ सकता है। पास के जिले शिवहर की एकमात्र सीट पर भी लंबे समय बाद पूर्व मंत्री रघुनाथ झा के वंशज पौत्र नवनीत कुमार राजद से मैदान में हैं। सांसद लवली आनंद और आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद की जगह जदयू ने डॉ. श्वेता गुप्ता को जदयू ने उतारा है। उनका यहां विरोध हो चुका है।

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