Bihar Election 2025: हम भले ही 87, मगर सबके सब डालेंगे वोट, लोकतंत्र को देंगे मजबूती
Bihar Assembly Election 2025: मुजफ्फरपुर जिले में, 87 थर्ड जेंडर मतदाता बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाग लेने के लिए उत्साहित हैं। थर्ड जेंडर के रूप में पहचान मिलने के बाद, वे गर्व से मतदान करने के लिए तैयार हैं। मंगलामुखी समाज के सदस्य, जो पहले पहचान संकट का सामना करते थे, अब सरकारी सुविधाओं और सम्मान के साथ लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।

मंगलामुखी समाज के लोगों ने मतदाता जागरूकता के लिए बैठक की। जागरण
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। Bihar Assembly Election 2025: बात कम संख्या की नहीं, बात उत्साह की है। बात है लोकतंत्र की मजबूती की और यह बात कर रही हैं जिले की मंगलामुखी।
थर्ड जेंडर के रूप में 87 की संख्या में ये सभी मतदाता बिहार विधानसभा चुनाव में वोट डालने को लेकर उत्साहित हैं। थर्ड जेंडर का दर्जा मिलने के बाद जिले की मतदाता सूची में 87 थर्ड जेंडर के नाम शामिल किए गए हैं। इनके मतदाता पहचान पत्र बन चुके हैं।
मंगलामुखी समाज के लोग लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भागीदारी को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। मंगलामुखी समाज की टोली शहर के विभिन्न हिस्सों में रहकर अपनी जीविका चलाती है।
बालूघाट इलाके में रहने वाली मंगलामुखी जूली ने कहा कि उनका समाज यजमानों को आशीर्वाद देकर उनकी रोज़ी-रोटी में बरकत की कामना करता है।
पहले उनके समाज को मतदाता पहचान पत्र में पहचान का संकट था, लेकिन अब थर्ड जेंडर के रूप में दर्जा मिलने के बाद वे अपनी पहचान के साथ गर्व से मतदान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में उनकी टोली को पहली बार मतदाता पहचान पत्र मिला था, जबकि इस बार वे दूसरी बार मतदान करने जा रहे हैं। हर भारतीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार है, इसलिए सभी को वोट अवश्य देना चाहिए।
जीना जान ने बताया कि थर्ड जेंडर के रूप में पहचान मिलने के बाद समाज में सम्मान और अधिकार दोनों की अनुभूति हो रही है। वहीं मंगलामुखी शम्मा, सलमा और सितारा ने कहा कि अब सरकारी स्तर पर पहचान पत्र सहित कई सुविधाएं मिलने लगी हैं।
वे सभी समय पर जाकर मतदान करेंगी। विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद थर्ड जेंडर (तीसरे लिंग) को कानूनी मान्यता मिली।
न्यायालय के इस निर्णय के उपरांत ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी दी गई, जिससे किन्नर समुदाय को आधिकारिक रूप से थर्ड जेंडर के रूप में पहचान प्राप्त हुई।
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