मुजफ्फरपुर जिले में टीकाकरण के बाद बच्चा बीमार पड़ गया। इसके बाद स्वजन उसे अस्पताल के बदले ओझा के घर लेकर चले गए। ओझा बाहर गया था। इसलिए उसने मोबाइल पर ही झाड़फूंक कर दी। इस बीच बच्चे की हालत बिगड़ती चली गई। यही नहीं रास्ते में ले जाने के क्रम में उसे ठंड लग गई। उसके बाद उसकी मौत हो गई।
अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। नियमित टीकाकरण के बाद पारू में बच्चे की मौत की जांच रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी गई है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एके पाण्डेय ने बताया कि बच्चे की मौत टीका के कारण नहीं बल्कि ठंड के प्रभाव से हुई थी। जब बच्चा सुस्त हो गया और दूध पीना छोड़ दिया तो उसे अस्पताल लाना चाहिए था।
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आशा और एएनएम स्वजन को इलाज के लिए कहते रहे। इसकी जगह स्वजन बच्चे को लेकर ओझा के घर चले गए। ओझा बाहर गया था। इसलिए उसने मोबाइल पर ही झाड़फूंक कर दी। इस बीच बच्चे की हालत बिगड़ती चली गई। यही नहीं रास्ते में ले जाने के क्रम में उसे ठंड लग गई। उसके बाद उसकी मौत हो गई।
विदित हो कि पारू की विशुनपुर सरैया के जय प्रकाश नगर महादलित बस्ती के रामप्रवेश मांझी के डेढ़ वर्षीय बेटे अनुराज कुमार की मौत टीकाकरण के बाद 22 दिसंबर को हुई थी। टीकाकरण दिए जाने के 11 घंटे के बाद ही रात में उसकी मौत हो गई।
घटना के बाद पारू चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार, सीडीपीओ रजनी कुमारी देवरिया पुलिस बल के साथ मृतक के स्वजन व इंजेक्शन लगाने वाली एएनएम वीणा कुमारी, सेविका सुनिता शर्मा से बातचीत की। इसके आधार पर जिला मुख्यालय को रिपोर्ट दी।
नियमित टीकाकरण के दौरान बच्चे को रोटावायरस, पोलियो इंजेक्शन, ओरल पोलियो का ड्राप दिया गया था। उसके आधार पर जिला स्तरीय टीम ने अपनी रिपोर्ट जांच के बाद मुख्यालय भेजी। इसमें बच्चे की मौत टीका लगने से नहीं, ठंड के प्रभाव से हुई थी।
टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभाव को लेकर जिला स्तर पर गठित टीम ने जांच की। इसमें स्वजन, एएनएम व आशाा से बातचीत की गई। बताया कि चार बच्चे को एक ही वायल से टीका दिया गया था। उसमें से एक बच्चे की मौत हुई। इसमें टीकाकरण की गुणवता पर कोई सवाल नहीं। टीकाकरण बच्चे को जानलेवा बीमारी से बचाव करता है।
वैज्ञानिक जांच के यह होते आधार
टीकाकरण से बच्चे की मौत की वैज्ञानिक जांच के आधार के सवाल पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. एसके पाण्डेय ने बताया कि टीकाकरण के बाद बच्चे की मौत होने पर उसके स्वजन की सहमति के बाद वैज्ञानिक जांच की जाती है। पोस्टमार्टम कराया जाता है। बच्चे को मरने के बाद स्वजन दफना दिए। इस कारण पोस्टमार्टम नहीं हो सका।
टीका गुणवता जांच का यह होता आधार
टीका की गुणवत्ता की जांच के बारे में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने कहा कि जांच के लिए यह जरूरी है कि एक वायल से टीका लेने के बाद यदि सारे बच्चे बीमार हो जाए तो उसकी जांच कराई जाती। अगर पांच बच्चे को टीका दिया गया।
उसमें से चार बच्चे स्वस्थ तथा एक बीमार हो गया तो उस हालत में टीकाकरण की जांच नहीं कराई जाती। औराई में एक साथ ज्यादा बच्चे बीमार हुए थे। उसके बाद टीका की जांच प्रयोगशाला में कराई गई। टीका की क्वालिटी उत्तम थी।
टीका देने में लापरवाही सामने आने पर एएनएम व जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी पर कार्रवाई की गई। पारू व कांटी पीएचसी में टीका देने में कोई लापरवाही सामने नहीं आई है।
बच्चों की मृत्यु दर को कम करता टीका
जिला प्रतिरक्षण पदाधिाकरी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार जन्म से एक साल के अंदर दस हजार में से 55 से 75 बच्चे की मौत हो जाती। मौत का कारण जो अबतक सामने आया है, उसके मुताबिक कुपोषण, इंफेक्शन व जन्मजात बीमारी।
सरकार की ओर से बच्चों की मृत्युृ दर को कम करने के लिए टीकाकरण अभियान चल रहा हैं। 0 से पांच साल के बच्चों को टीका जानलेवा बीमारी से बचाव कर रहा। टीकाकरण के कारण मृत्यु दर बहुत कम है।
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