डायपर बैग, झोला व सूटकेस लेकर चल रहीं महिलाओं की तलाशी लेने के बाद पुलिस की खुली रही गईं आंखें...कहा- तुमलोग भी
मुजफ्फरपुर में उत्पाद विभाग ने शराब तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। आठ महिलाओं समेत 11 गिरफ्तार जिनके पास से 69 लीटर शराब बरामद हुई। गिरोह दिल्ली-यूपी से शराब लाता था और महिलाओं को प्रति ट्रिप पैसे देता था। वे कम चेकिंग वाले रूटों का चयन करते थे और झोले में शराब छिपाते थे। मास्टरमाइंड अब्दुल ने कई खुलासे किए।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar Crime: मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग की विशेष टीम ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से शराब की तस्करी करने वाली महिला धंधेबाजों के गिरोह का उद्भेदन किया।
टीम ने काजीमोहम्मदपुर थाना के बटलर चौक के समीप छापेमारी कर इस रैकेट में शामिल आठ महिला समेत 11 धंधेबाजों को गिरफ्तार किया। इनके पास से 69 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की है।
गिरफ्तार धंधेबाजों में समस्तीपुर के नगर थाना के पेठिया गद्दी की नजीया खातून, रूपा देवी, ममीता देवी, शनिचरी देवी, ममता देवी, शहनाज बेगम, बेगूसराय जिले के चेरिया थाना के मझौल की मीना देवी, सिउरी निवासी अस्मिता देवी, बेगूसराय के बरौनी थाना के नयाटोला चकिया के प्रिंस कुमार, समस्तीपुर के पेठिया गद्दी के विकास कुमार और इन सब के मास्टरमाइंड समस्तीपुर के नगर थाना के मगदही मुहल्ला वार्ड नंबर 37 निवासी मोहम्मद अब्दुल के रूप में हुई है।
पूछताछ में अब्दुल ने बताया कि वह काफी समय से यूपी, दिल्ली व हरियाणा समेत अन्य जगहों से शराब की खेप ला रहा था। इसके लिए वह महिलाओं की मदद लेता था। महिलाओं को वह एक प्रति ट्रिप हजार से 15 सौ रुपये देता था।
ट्रेन से उतरने के बाद वह आटो रिजर्व कर भगवानपुर जाता। वहां से शराब लेकर समस्तीपुर जाने वाले थे। शराब ढोने के लिए जान बूझकर ऐसे रूटों और ट्रेनों का चयन करते हैं जहां चेकिंग कम होती है।
उसने पूछताछ में शराब के धंधे से जुड़े कई लोगों के नाम-पता व उसके ठिकाने की जानकारी टीम को दी है। उत्पाद इंस्पेक्टर दीपक कुमार सिंह ने बताया कि धंधेबाजों के विरुद्ध अभियोग दर्ज कर शनिवार को जेल भेज दिया गया। छापेमारी में एसआई अभिमन्यु सिंह, तारकेश्वर पाण्डेय, ज्योति कुमार व एएसआई नीरज कुमार शामिल थे।
झोला व बैग में ढोती शराब
शराब को छिपाने के लिए महिलाएं झोला, बैग, सूटकेस और बच्चों के डायपर बैग का भी इस्तेमाल कर रही है। महिला होने के कारण पुलिस का ध्यान कम जाता है और वे आसानी से स्टेशनों की सुरक्षा को चकमा देकर बच निकलती है। वे सामान्य यात्री बनकर यात्रा करती है, जिससे उसे पहचानना और पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
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