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    Bihar Election 2025: कैसी होगी मुजफ्फरपुर जिले में मुकाबले की तस्वीर? अंतिम समय में हुई साफ

    By Prem Shankar Mishra Edited By: Ajit kumar
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 12:27 PM (IST)

    Bihar Assembly Election 2025: मुजफ्फरपुर जिले की 11 विधानसभा सीटों के लिए नामांकन आज खत्म हो जाएगा। एनडीए में विरोध के कारण कुछ सीटों पर समीकरण बिगड़ सकता है। राजद ने पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है, लेकिन हारी हुई सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे हैं। जदयू ने अपने चारों सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं, जबकि भाजपा में टिकट कटने से बागी उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं।

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    प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। Bihar Assembly Election 2025: जिले की सभी 11 विधानसभाओं के लिए शुक्रवार को नामांकन समाप्त हो जाएगा, मगर स्थिति यह है कि कुछ सीटों पर मुख्य दलों के उम्मीदवार भी आधिकारिक रूप से तय नहीं हो सके।

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    कुछ सीटों पर गुरुवार को देर शाम प्रत्याशियों की घोषणा हुई। अब उनका शुक्रवार को नामांकन होगा। अब तक 60 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया है।

    मुख्य दो गठबंधनों और पहली बार मैदान में उतरी जन सुराज ने सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए। मगर पहली बार ऐसा देखने को मिला कि अधिकतर सीटों पर नामांकन की तिथि के कई दिन बीत जाने पर सूची फाइनल हुई।

    सबसे अधिक संशय आइएनडीआइए में बना रहा। वीआइपी को अंत समय में एक सीट मिली। माले की जगह औराई से अब इस पार्टी का प्रत्याशी होगा।

    भाजपा की भी सबसे महत्वपूर्ण सीट मुजफ्फरपुर की सूची बुधवार को जारी हुई। इस मामले में जदयू ने बाजी मारी। कोटे की चारों सीटों पर एक साथ उम्मीदवारी तय कर दी।

    अब तक की जो स्थिति है, उसके अनुसार आमने-सामने से लेकर बहुकोणीय संघर्ष की जमीन तैयार हो रही है। यह इसलिए की कई सीटों पर टिकट कटने से बागी भी मैदान में उतर गए हैं। यह सभी दलों में है।

    राजद को एक खाते में एक सीट अधिक मिली 

    पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में राजद कोटे में एक सीट अधिक आई है। पिछले चुनाव में सात सीट पर लड़े राजद ने आठ सीटों पर प्रत्याशी दिया है। इनमें से चार सीटिंग यानी पुराने चेहरे को ही जगह दी। वहीं हारी हुई सीटों पर नए चेहरे पर दाव लगाया है।

    दूसरी ओर कांग्रेस को एक सीट का घाटा हुआ है। तीन की जगह वह दो सीटों पर ही प्रत्याशी हैं। पारू सीट राजद ने अपने कोटे में रख लिया है। नुकसान वीआइपी को चुनाव से पहले ही हो गया है।

    एनडीए में रहते दो सीटों पर लड़ने वाली इस पार्टी को अंतिम समय में आइएनडीआइए ने औराई सीट दी। पिछली बार यह माले के खाते में था।

    जदयू ने चेहरा बदला

    जदयू को पिछले विधानसभा चुनाव वाली सीटें ही मिली हैं, मगर चेहरे बदल गए हैं। चारों सीटों पर नया चेहरा है। कांटी से अजीत कुमार, मीनापुर से अजय कुमार, गायघाट से कोमल सिंह और सकरा से आदित्य कुमार प्रत्याशी बनाए गए हैं। वहीं भाजपा ने तीन सीटों पर उम्मीदवारी में बदलाव किया है।

    पारू और औराई से सीटिंग विधायक का टिकट काटा तो मुजफ्फरपुर में उम्मीदवार बदल दिया। इसलिए विरोध का स्वर यहां से अधिक निकला है। औराई में विधायक रामसूरत के समर्थक लगातार प्रत्याशी रमा निषाद का विरोध कर रहे हैं वहीं पारू से टिकट कटने पर भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरेंगे।

    अपने भी डालेंगे बाधा

    घोषित प्रत्याशी और नामांकन करने वालों की स्थिति को देखते हुए सभी सीटों पर परंपरागत रूप से एनडीए और आइएनडीआइए के प्रत्याशियों में मुकाबले होगा तो कई सीटों पर जन सुराज और बागी उम्मीदवार भी समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

    पारू से बेटिकट हुए अशोक कुमार सिंह निर्दलीय उतरकर एनडीए के समीकरण पर प्रभाव डालेंगे। यहां रालोमो के मदन चौधरी प्रत्याशी होंगे। अशोक यहां से चार बार लगातार विजयी रहे हैं। वहीं पिछले चुनाव में निर्दलीय लड़कर दूसरे नंबर पर रहने वाले शंकर प्रसाद राजद से उतरे हैं।

    जन सुराज की रंजना कुमारी को स्वजातीय वोट मिले तो समीकरण प्रभावित हो सकता है। इससे यहां मुकाबला रोचक हो सकता है। औराई सीट पर इस बार यदुवंशियों की जगह निषादों की भिड़ंत दिखेगी।

    अब बेटिकट हुए रामसूरत राय क्या रुख अपनाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल वह यह कर रहे कि पार्टी में रहकर विरोध करेंगे। गायघाट सीट पर टिकट से पहले जदयू के दो चेहरे से भिड़ंत से भी मुकाबले को रोचक बनाएगा।

    टिकट की आस पाले पूर्व विधायक महेश्वर यादव और उनके पुत्र प्रभात किरण ने अब तक विरोध तो किया है, मगर मैदान में नहीं उतरे। अगर वह मैदान में उतरे तो यहां भी समीकरण पर असर पड़ेगा।

    मुजफ्फरपुर सीट पर कांग्रेस ने पिछली बार 25 साल बाद जीत हासिल की थी। लगातार दो बार विधायक रहे सुरेश कुमार शर्मा को बिजेंद्र चौधरी ने हराकर कांग्रेस को सीट लौटाई थी। वह फिर से मैदान में हैं।

    उनके सामने भाजपा के रंजन कुमार होंगे। जिलाध्यक्ष के रूप में छह साल का अनुभव है। मैदान में पहली बार उतरे हैं। टिकट मिलने पर सबसे अधिक विरोध सुरेश शर्मा के समर्थकों की ओर से हुआ, मगर रंजन मान रहे कि यह सब टिकट तक ही था।

    अब सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यहां जन सुराज ने डा. एके दास को प्रत्याशी बनाया है। छठ के बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि मुकाबला आमने-सामने होगा या त्रिकोणीय। कुढ़नी से मंत्री केदार प्रसाद फिर भाजपा से मैदान में हैं। वहीं राजद ने भी नया चेहरा बबलू कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है।

    यहां जन सुराज ने मो. अफरोज को सिंबल दिया है। इससे यहां भी मुकाबला रोचक हो सकता है। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण सीट कांटी है। यहां जदयू ने पुराने साथी अजीत कुमार को वापस लाकर प्रत्याशी बनाया है।

    दो बार से दूसरे नंबर पर रहे अजीत की मुकाबला पूर्व मंत्री एवं राजद प्रत्याशी इसराइल मंसूरी से ही संभावित है। यहां लगातार बहुकोणीय मुकाबले हुए हैं। इस बार इसकी उम्मीद कम है। मीनापुर भी पिछली बार त्रिकोणीय मुकाबले में रही।

    इस बार राजद के मुन्ना यादव के सामने जदयू ने अजय कुमार को उतारा है। अजय पिछली बार लोजपा प्रत्याशी के रूप में 42 हजार से अधिक वोट लाकर तीसरे नंबर पर थे। जदयू के बागी प्रत्याशी नहीं आने से मुकाबला आमने-सामने की उम्मीद है।

    साहेबगंज सीट पर इस वर्ष पूर्व मंत्री राम विचार राय की मौजूदगी नहीं होगी। मंत्री राजू कुमार सिंह भाजपा तो नया चेहरा पृथ्वी नाथ राय राजद से हैं। वोट समीकरण के आधार पर आमने-सामने के मुकाबले की ही उम्मीद है।

    सकरा में पिछला चुनाव बहुत ही कम अंतर से हारने वाली कांग्रेस के उमेश राम के सामने जदयू ने नया चेहरा आदित्य कुमार के रूप में उतारा है।