बियाडा ने एमनेस्टी नीति में किया संशोधन, बैंक गारंटी प्रविधान को किया समाप्त
बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) ने उद्योग जगत के लिए एमनेस्टी नीति 2025 में संशोधन किया है। अब भूखंड आवंटन के बाद इकाइयों को बैंक गारंटी जमा नहीं करनी होगी। समय पर उत्पादन शुरू न होने पर भूखंड का कब्जा बियाडा को लौटाना होगा। उद्यमी संघ ने इस फैसले का स्वागत किया है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने उद्योग जगत के हित में अपनी एमनेस्टी नीति 2025 में संशोधन किया है। सोमवार को प्राधिकरण की ओर से जारी कार्यालय आदेश में कई अहम बिंदुओं को बदला गया है।
इससे पहले जहां भूखंड आवंटित करने के बाद इकाइयों को बैंक गारंटी जमा करनी पड़ती थी अब इस प्रविधान को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। प्रबंधन निदेशक संशोधन का आदेश जारी किया है।
बियाडा से मिली जानकारी के अनुसार एमनेस्टी नीति में भूखंड की दर का पांच प्रतिशत बैंक गारंटी 24 माह के लिए जमा करना होता था। यदि समय पर उत्पादन शुरू नहीं होता था तो गारंटी जब्त कर ली जाती थी। इस धारा को हटा दिया गया है।
इसी तरह बैंक गारंटी जमा करने और बियाडा द्वारा उसे भुनाने का प्रावधान था, उसे भी हटा दिया गया है। इस नीति में जो संशोधन किया गया है, इसमें स्पष्ट है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर इकाई संचालन या पुनरुद्धार नहीं होता है, तो आवंटी को स्वेच्छा से भूखंड का कब्जा बियाडा को लौटाना होगा।
यदि आवंटी कब्जा नहीं लौटाता है, तो प्राधिकरण को भूखंड का कब्जा पुनः लेने का अधिकार होगा। उत्तर बिहार उद्यमी संघ के अध्यक्ष संजीव चौधरी, उपाध्यक्ष अवनीश किशोर, महासचिव विक्रम विक्की, लालबाब शर्मा, सुरेश चचान, शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि बियाडा प्रबंधन ने उद्यमियों को बड़ी राहत दी है। इसके लिए संघ लगातार पहल कर रहा था।
इसके साथ सरकार से मांग किया कि सुविधा शुल्क के बदले मिलने वाली सेवाओं का स्पष्ट ब्योरा दिया जाए और शुल्क की गणना प्रति वर्गफुट के आधार पर पारदर्शी रूप से की जाए। जब सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है, तो अलग से मेंटेनेंस चार्ज क्यों लिया जा रहा है। इसको भी समाप्त किया जाए।
मालूम हो कि बियाडा एमनेस्टी पालिसी 2025 बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) द्वारा जारी की गई एक नीति है जिसका उद्देश्य बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों को पुनर्जीवित करना, औद्योगिक भूखंडों पर लंबित विवादों को समाप्त करना और भूमि का प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित करना है।
यह नीति उन औद्योगिक आवंटियों के लिए है जो स्वेच्छा से इसमें शामिल होकर अपने भूमि विवादों और मुकदमों को सुलझा सकते हैं और अपनी बंद पड़ी इकाइयों को फिर से शुरू कर सकते हैं।
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