बेतिया महाराज ने मनरेगा की तर्ज पर दिया था रोजगार, आज दम तोड़ती नजर आ रही योजना
21 महीने से मनरेगा के तहत नहीं हो रहा काम, मजदूरों में आक्रोश, एक सप्ताह में काम न मिलने पर कई मुखियों ने आंदोलन की दी चेतावनी। ...और पढ़ें

बेतिया, [अनिल तिवारी]। तकरीबन 400 साल पहले बेतिया महाराज ने हजारों मजदूरों को मनरेगा की तर्ज पर काम दिया था। आज भी सरकार की प्राथमिकता में मनरेगा है। इसके विपरीत पश्चिम चंपारण जिले में यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही। इससे मजदूरों में आक्रोश है और वे आंदोलन के लिए रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। रोजगार न मिलने से मजदूर पलायन भी कर रहे। पश्चिम चंपारण में मनरेगा से पोखर की खुदाई, सड़क निर्माण और पौधरोपण पूरी तरह बंद है। जिले में पांच लाख 12 हजार जॉब कार्डधारी हैं। इनमें क्रियाशील जॉब कार्डधारकों की संख्या 1.46 लाख है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मात्र 50 फीसद श्रम दिवस सृजित हुआ।
इस बार यह आंकड़ा तकरीबन 30 फीसद तक ही पहुंचा है, जबकि वित्तीय वर्ष खत्म होने में सिर्फ तीन माह हैं। नौतन प्रखंड अंतर्गत गहीरी पंचायत के मुखिया प्रदीप प्रसाद साह, जमुनिया पंचायत के मुखिया बसंत साह और मझौलिया प्रखंड क्षेत्र की धोकराहां पंचायत के मुखिया आशीष भट्ट का कहना है कि मनरेगा के तहत कोई काम नहीं हुआ। छठ पर पोखर व तालाबों की उड़ाही तक नहीं हुई। आवास योजना में किसी प्रकार से कुछ जॉब कार्ड का समायोजन हो रहा।
अगर एक सप्ताह में काम शुरू नहीं हुआ तो वे आंदोलन शुरू करेंगे। पश्चिम चंपारण के उपविकास आयुक्त रविंद्रनाथ प्रसाद सिंह का कहना है कि अभी शौचालय और प्रधानमंत्री आवास निर्माण प्राथमिकता है। दिसंबर तक पूरे जिले को ओडीएफ करना है। इस पर अधिक ध्यान है।
बेतिया महाराज के समय मनरेगा थी नजीर
अकाल व भुखमरी से बचने के लिए तकरीबन चार सौ वर्ष पूर्व मनरेगा जैसी योजना नजीर बन चुकी है। बेतिया राज के इतिहास लेखक रेवतीकांत दुबे बताते हैं कि 1629 में उग्रसेन सिंह राजा बने। उनके शासनकाल में अकाल पड़ा। लोगों को रोजगार देने के लिए उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण, पोखर की खुदाई और बाग-बगीचे लगवाए। उनके पुत्र राजा गज सिंह और दिलीप सिंह ने भी कई तालाब खुदवाए। सड़क किनारे पौधे और बाग-बगीचे लगवाए। 1715 में ध्रुव सिंह के शासनकाल में जनकल्याणकारीकार्यों में और तेजी आई। इसके बाद बेतिया रियासत में अकाल की छाया नहीं पड़ी।
बेतिया व आसपास के क्षेत्र में महाराजाओं के समय बने 55 से ज्यादा मंदिर, सौ से अधिक पोखर-तालाब और बाग-बगीचे आज भी हैं। वही पश्चिम चंपारण के सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि मनरेगा पूरी तरह से बंद नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना में मनरेगा से काम हो रहा। जिला प्रशासन ने शौचालय निर्माण को प्राथमिकता सूची में सर्वोच्च स्थान दिया है। जो पंचायतें ओडीएफ हो गईं, वहां मनरेगा से काम हो रहा है।

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