बापू ने कहा था-मुजफ्फरपुर मेरे लिए 'हृदयस्थली'
शहर के मध्य तिलक मैदान रोड स्थित 'हृदयस्थली' न सिर्फ एक राष्ट्रीय धरोहर है, बल्कि महात्मा गांधी के मानव सेवा की मिसाल भी है। स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी व दिल्ली लेजिस्लेटिव एसेंबली के सदस्य शफी दाउदी ने तिलक मैदान से सटे अपनी दो बीघा जमीन सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इलाहाबाद को दान में दे दी थी।
मुजफ्फरपुर। शहर के मध्य तिलक मैदान रोड स्थित 'हृदयस्थली' न सिर्फ एक राष्ट्रीय धरोहर है, बल्कि महात्मा गांधी के मानव सेवा की मिसाल भी है। स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी व दिल्ली लेजिस्लेटिव एसेंबली के सदस्य शफी दाउदी ने तिलक मैदान से सटे अपनी दो बीघा जमीन सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी इलाहाबाद को दान में दे दी थी। 15 जनवरी 1934 भूकंप त्रासदी के लिए काला दिवस था। क्योंकि, बिहार में भूकंप का सर्वाधिक प्रभाव मुजफ्फरपुर एवं मुंगेर पर पड़ा था। उसी दौरान गांधी जी के नेतृत्व में देश के कई बड़े नेता राहत कार्य वास्ते मुजफ्फरपुर पधारे। वे यहां रहकर मुजफ्फरपुर नगर एवं गांव में भूकंप पीड़ितों के लिए सेवा कार्य चलाया।
भूकंप पीड़ितों की सेवा करते हुए बापू ने कहा था कि मुजफ्फरपुर मेरे लिए 'हृदयस्थली' है। तभी से यहां के नागरिकों ने बापू विश्राम स्थल का नाम 'हृदयस्थली' रख दिया। महात्मा गांधी ने ने स्वयं 23 अप्रैल 1934 को इसका उद्घाटन किया था, जिसका प्रमाण आज भी वहां लगी शिलापट्टिका है, जो धीरे-धीरे भूमिगत होती जा रही है। लेकिन बाद में यह जमीन एवं उस पर बना भवन नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आवास स्थल बन गया। भवन के लिए दान में दी गई अधिकांश जमीन में एक मध्य विद्यालय खोल दिया गया। इस प्रकार मानव सेवा के गांधी संदेश को ताजा कर रहा 'हृदयस्थली' जिला प्रशासन एवं नगर निगम की उपेक्षा के कारण अपने अस्तित्व की अंतिम सांस ले रहा है। वह समय दूर नहीं जब यह राष्ट्रीय धरोहर कुछ चंद लोगों की शरण स्थली मात्र बनकर रह जाए।
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