सीतामढ़ी जिले का सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रसिद्ध शिव मंदिर है बाबा ईशाननाथ मंदिर
सीतामढ़ी। बेलसंड अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर ईशानकोण में अवस्थित है बाबा ईशाननाथ मंदिर।

सीतामढ़ी। बेलसंड अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर ईशानकोण में अवस्थित है बाबा ईशाननाथ मंदिर। यह सीतामढ़ी जिले के सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। लोहासी पंचायत के दमामी गांव में होने के कारण यह दमामी मठ के नाम से भी प्रसिद्ध है। इन्हें स्वयंभू महादेव व पातालेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर का इतिहास चिताभूमि पर अवस्थित इस मंदिर को रामायण काल से भी पुराना बताया जाता है। कहते हैं कि भगवान राम की बरात जनकपुर से वापस अयोध्या जाने के दौरान यहां रूकी थी। उस समय मंदिर के बगल से बागमती नदी बहती थी। जिसका अवशेष नासी के रूप में अब भी है। मंदिर के मुख्यद्वार पर स्थापित घंटा विक्रमसंवत 1200 में जलेश्वर धाम के महंत द्वारा स्थापित किया गया है। वर्तमान महंत की 29 वीं पीढ़ी मंदिर का देखरेख कर रही है।
मंदिर की विशेषता:
जन जन की आस्था के इस केंद्र पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु सुबह शाम पूजन में आते हैं। सैकड़ो परिवारों की दिनचर्या इनके दर्शन पूजन से शुरू होती है। प्रत्येक रविवार को दूर दूर से लोग जलाभिषेक को आते हैं। वसंतपंचमी के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है जो पूर्णिमा को समाप्त होता है। सावन माह में संध्या समय होनेवाली श्रृंगार पूजा भी काफी लोकप्रिय है। यहां एक लोकोक्ति प्रसिद्ध है, जिसने भी बाबा को गहा उसका कल्याण हुआ। वाकई यह लोगों के आस्था का केंद्र है। लोग अपने सुख-दुख को उनकी प्रसन्नता या कोप मानते हैं। उनके शरणागत होने पर कुछ भी असंभव नहीं है।
महंत चितरंजन गिरी
बाबा ईशाननाथ के प्रति इलाके लोगों की बड़ी आस्था है। सावन के अलावा शिवरात्रि, वसंत पंचमी एवं अन्य पर्व के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं।
शिवेश कुमार, शिव भक्त (मांची गांव)
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