लोकलाज के डर से बिन ब्याही मां की नवजात बच्ची का किया सौदा, ममता जागी तो बच्ची को लेने अस्पताल पहुंचे स्वजन
मुजफ्फरपुर के मड़वन में एक अस्पताल में बिन ब्याही मां ने बच्ची को जन्म दिया। समाज के डर और लालच के चलते अस्पताल कर्मियों ने नवजात को बेच दिया। चार दिन बाद मां जब बच्ची को लेने पहुंची तो उसे बताया गया कि बच्ची को सरैया के एक संगठन को दे दिया गया है। इस मामले में अस्पताल संचालक ने कर्मचारी पर आरोप लगाया है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। समाज के तानों व तिरस्कार के डर से एक बिन ब्याही मां ने बेटी को ऐसे अस्पताल में जन्म दिया जिसका लोगों को पता नहीं चले। लोकलाज और लालची नजर ने ममता पर ऐसा पहरा लगाया कि मां की गोद से निकलकर नवजात बच्ची खरीदारों के हाथ चली गई।
मामला मड़वन के एक अस्पताल का है। यहां चार दिन पूर्व एक बिन ब्याही मां किसी अपने के साथ आई। नौ माह जिसे गर्भ में पाला उसे दुनिया में लाना था। साथ ही दुनिया से छिपाना भी था।
उसकी इस मजबूरी का फायदा अस्पताल के कर्मचारी से लेकर संगठन के लोगों ने उठाया। बच्ची के जन्म लेने के बाद उसका सौदा कर दिया गया। चार दिन बाद मां की ममता जागी।
बच्ची को वापस लेने के लिए स्वजन अस्पताल आए, मगर बताया गया कि उसे सरैया में एक संगठन को दे दिया गया है। सरैया में बताए गए संगठन के पास भी बच्ची नहीं मिली। इसके बाद स्वजन ने अस्पताल में हंगामा भी किया, मगर उनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी।
इस मामले में अस्पताल के संचालक मो. समीर आलम उर्फ बबलू ने कहा, यह सच है कि बिन ब्याही एक युवती उसके अस्पताल आई थी। अस्पताल आते ही उसकी डिलीवरी हो गई। उसके साथ आए एक व्यक्ति ने नवजात को ठिकाने लगाने की बात कही थी।
उन्होंने बताया कि अस्पताल के एक कर्मचारी मो. रिजवान की मदद से नवजात को सरैया के एक संगठन के पास भिजवा दिया गया। संचालक ने अपने कर्मचारी रिजवान की गलती को स्वीकार किया, मगर इस बात का जवाब नहीं दे सके कि बिन ब्याही मां को भर्ती कराए जाने पर उसका रिकार्ड दर्ज किया गया था या नहीं।
कर्मचारी रिजवान ने बताया कि युवती ने बच्ची को जन्म दिया था। सरैया के जिस संगठन को बच्ची दी गई है वह शनिवार को उसे वापस कर देगा। पूरे दिन हंगामा के बाद भी मामले की भनक पुलिस को नहीं लगी।
वहीं चर्चा इस बात की है कि नवजात का डेढ़ से दो लाख रुपये में सौदा कर दिया गया। यहां सवाल उठ रहे कि अस्पताल में सभी मरीज का रिकार्ड क्यों नहीं रखा जाता। नवजात को किसी संगठन को सौंपा गया था तो उसकी कानूनी और कागजी प्रक्रिया क्यों नहीं हुई।
किसी संगठन ने बच्ची को किसी को दिया तो क्या उसने कागजी प्रक्रिया पूरी की। सवाल स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम से भी है कि इस तरह के मामले को वह क्यों नहीं रोक पा रहा।

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