कमाल है, मछली का पापड़ भी तैयार किया जा सकता है ?
पापड़ शब्द सुनते ही उड़द दाल से तैयार पापड़ का ख्याल आता है। कल्पना करें आपको भोजन में ऐसा पापड़ परोसा जाए तो किसी दाल से नहीं वरन मछली से तैयार किया गया हो तो..। एक खास तरह का अनुभव तो होगा। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

सकरा (मुजफ्फरपुर), [एम. रहमान]। यूं तो अपना देश विविध संस्कृति के साथ ही साथ विविध भोजन का भी देश है, किंतु तकनीक की तरक्की ने इसका दायरा वैश्विक बना दिया है। इसके साथ ही अब एक से बढ़कर एक प्रयोग हो रहे हैं। जो खाने को एक नया आयाम दे रहे हैं। सेहत व स्वाद का ख्याल रखा जाने लगा है। इसी क्रम में मछली का पापड़ किया गया है। एक ओर जहां यह स्वाद से भरपूर है वहीं दूसरी ओर सेहत के लिए भी यह बेहतर है। विज्ञानियों के इस प्रयोग की लोग खूब चर्चा कर रहे हैं। खासकर मछली के शौकीन। स्वाभाविक भी है। उनके पास अब मछली का एक और व्यंजन उपलब्ध हो गया है।
- -मुजफ्फरपुर के ढोली मात्स्यिकी महाविद्यालय के विज्ञानी और शोध विद्यार्थियों ने किया तैयार
- -12 मार्च से आयोजित होने वाले पूसा किसान मेले में किया जाएगा प्रस्तुत
शोध विद्यार्थियों ने इसे तैयार किया
मछली से बना पापड़ अब खाने का स्वाद बढ़ाएगा। इसमें मछली में पाए जाने वाले सभी पौष्टिक तत्व मौजूद होंगे। पूसा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े मुजफ्फरपुर के ढोली मात्स्यिकी महाविद्यालय के विज्ञानी और शोध विद्यार्थियों ने इसे तैयार किया है। बीते साल इस पर काम पूरा किया गया था। इस बार 12 मार्च से आयोजित होने वाले पूसा किसान मेला में प्रस्तुत किया जाएगा। मत्स्यपालकों को इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। फिलहाल, महाविद्यालय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पापड़ में मछली पाउडर का होता इस्तेमाल
मत्स्य विज्ञानी व कार्यक्रम समन्वयक डा. तनुश्री घोडई बताती हैं कि मछली पापड़ बाजार में बिकने वाले अन्य पापड़ जैसा ही होता है। इसमें अन्य सामग्री के साथ मछली का पाउडर मिश्रित किया जाता है। पाउडर भी महाविद्यालय स्तर पर तैयार किया जाता है। पाउडर के लिए किसी भी प्रजाति की मछली का चयन कर सकते हैं। इन्हें अंदर व बाहर से साफ कर ड्रायर (बिजली आधारित सुखाने की मशीन) से सुखाया जाता है। दो से तीन घंटे की प्रक्रिया के बाद उन्हें पीसकर पाउडर तैयार किया जाता है। पापड़ बनाने के लिए चना या मटर के आटे (बेसन), नमक व अन्य मसालों के साथ मछली पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद मशीन से पापड़ तैयार कर ड्रायर से ही सुखाकर पैक किया जाता है।
120 मत्स्यपालकों को दिया जा चुका प्रशिक्षण
विज्ञानी के अनुसार, मछली पाउडर के इस्तेमाल में मात्रा का ध्यान रखना पड़ता है। उपलब्ध सामग्री की उपलब्धता के अनुसार, इसकी मात्रा 10 प्रतिशत रखी जाती है। इससे अधिक होने पर पापड़ टूटने लगेगा और प्रोटीन की मात्रा भी मानक से ज्यादा हो जाएगी। पापड़ का स्वाद मछलियों की प्रजातियों पर निर्भर करता है।महाविद्यालय स्तर पर केवल प्रशिक्षण की व्यवस्था है। 2020-21 सत्र में 120 मत्स्यपालकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वर्ष 2021-22 सत्र में 20 मत्स्यपालकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका भाव लागत और बाजार के अनुसार तय होगा। विज्ञानी के अनुसार, मछली पापड़ कोलेस्ट्राल कम करने, आंखों की रोशनी और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है।
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