बिहार में बीपीएससी के बाद एक और परीक्षा में सामने आया फर्जीवाड़ा, मुजफ्फरपुर से पटना का अभ्यर्थी गिरफ्तार
बिहार में आयोजित होने वाली नियुक्ति परीक्षाओं में अनियमितताओं के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल में बीपीएससी की परीक्षा में ऐसा मामला सामने आया था। अभी इसकी जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि एक और फर्जीवाड़ा सामने आ गया है। इसमें एक गिरफ्तारी हुई है।
मुजफ्फरपुर, जासं। बिहार में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं में अनियमितता बरतने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसकी वजह से राज्य की छवि भी खराब होती जा रही है। अभी हाल में बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। इंटरनेट मीडिया पर इसके वायरल होने के बाद इस परीक्षा को रद कर दिया गया। अभी इसकी जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि अब सीआरपीएफ कांस्टेबल की लिखित परीक्षा में फर्जीवाड़े की बात सामने आ गई है। इसमें फर्जीवाड़ा करने के आरोप में एक अभ्यर्थी को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में उसकी पहचान पटना बिहटा के सुधीर कुमार रूप में हुई है। मामले में सीआरपीएफ के अधिकारी के बयान पर अहियापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। कांड दर्ज कर अहियापुर थाने की पुलिस ने आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस पूछताछ में उसने फर्जीवाड़ा कर परीक्षा पास कराने वाले रैकेट के बारे में बताया। इसमें पटना व नालंदा के कई युवक शामिल हैं। पुलिस इस दिशा में आगे की कार्रवाई में जुटी है।
दूसरे ने दी थी परीक्षा
बताया गया कि गत दिनों सीआरपीएफ कांस्टेबल के लिए लिखित परीक्षा हुई थी। इसमें आरोपित अपनी जगह पर दूसरे को बिठाया था। इस तरीके से वह परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया। इसके बाद शारीरिक परीक्षा व दौड़ में खुद शामिल होने को झपहां स्थित सीआरपीएफ केंद्र पहुंचा। कहा जा रहा कि शारीरिक परीक्षा में शामिल होने के दौरान उसका फिंगर प्रिंट व तस्वीर का मिलान किया गया। इसी में उसका फिंगर प्रिंट व तस्वीर नहीं मिला। इसके बाद सीआरपीएफ के अधिकारियों को उस पर संदेह हुआ। तब उसे हिरासत में ले लिया गया। सख्ती से पूछताछ की गई तो सारी बात सामने आई। इसके बाद सीआरपीएफ अधिकारी ने आरोपित को अहियापुर थाने की पुलिस के हवाले कर दिया गया।
व्यवस्था पर सवाल उठने लगे
बता दें कि पूर्व में भी विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में फर्जीवाड़ा के आरोप में अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं। इस घटना से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि जब लिखित परीक्षा में फर्जीवाड़ा की गई तो आरोपित जांच में पकड़ा नहीं जा सका। अगर शारीरिक परीक्षा में भी वह पकड़ में नहीं आता तो फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल कर सकता था। इस घटना ने पूरी व्यवस्था पर सवाल उठा दिया है।