मुजफ्फरपुर कोर्ट में सजा से पहले छलांग, कोर्ट परिसर से फरार हुआ हत्या का दोषी
Bihar Crime news : मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में भूमि विवाद में मनिचंद्र राय की हत्या के मामले में, सत्र-विचारण के बाद एडीजे-11 के न्यायाधीश अंकुर गुप्ता ...और पढ़ें

इसमें प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर । भूमि विवाद में मोतीपुर के पुरानी बाजार निवासी मनिचंद्र राय की पीटकर हत्या मामले में करीब साढ़े 26 वर्ष बाद सोमवार को पिता-पुत्र समेत तीन आरोपितों को सत्र-विचारण के बाद एडीजे-11 के न्यायाधीश अंकुर गुप्ता ने दोषी करार दिया।
इसमें शिवबालक राय उसका पुत्र मुन्नीलाल राय व मिश्री लाल राय शामिल है। वहीं, दो अन्य आरोपित चंद्री देवी व भोला राय को बरी कर दिया गया। सजा के बिंदु पर छह जनवरी को सुनवाई होगी। दोषी करार के बाद कोर्ट परिसर से मोतीपुर के मोहम्मदपुर बलमी टोला, पुरानी बाजार निवासी दोषी मुन्नीलाल राय भाग गया।
उसकी तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला। इसके बाद शेष दो दोषियों को तत्काल न्यायिक हिरासत में भेजा गया। मामले में पीठ लिपिक असित कुमार ने नगर थाने में प्राथमिकी कराई है। पुलिस का कहना है कि मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
अपर लोक अभियोजक सुनील कुमार पाण्डेय ने बताया कि मोतीपुर के पुरानी बाजार निवासी सटहू राय के फर्दबयान पर 29 मई 1999 को मोतीपुर थाने में प्राथमिकी कराई गई थी। इसमें मोहम्मदपुर बलमी टोला, पुरानी बाजार के शिवबालक राय, कौशल्या देवी, लालबाबू राय, मुन्नीलाल राय, मिश्रीलाल राय, कृष्णा राय, चंद्री देवी, हरिहर राय, गणेश राय, सुजिया देवी, जयमंगल राय व भोला राय समेत 13 लोगों को नामजद आरोपित किया था। कहा था कि वह अपने घर पर बैठे थे। सभी आराेपित हथियार के साथ उनके घर आए। आरोपितों ने गैरमजरूआ भूमि व पूर्व के विवाद को लेकर सभी को मारा-पीटा।
आरोपितों ने पीट-पीटकर मनिचंद्र राय की हत्या कर दी। वहीं महेंद्र राय गंभीर रूप से घायल हो गया। एपीपी ने बताया कि प्राथमिकी के बाद केस के सूचक और फर्दबयान लेने वाले एसआई की मौत हो गई थी। इसके बाद विशेष रूप से एसआई के साथ फर्दबयान लेने आए चौकीदार ब्रह्मदेव राय को बुलाकर फर्दबयान की पुष्टि और उसका बयान दर्ज कराया गया था।
पांच आरोपितों पर चला सेशन ट्रायल
कोर्ट ने सात आरोपितों पर संज्ञान लिया था। सेशन ट्र्रायल के दौरान आरोपित लालबाबू राय और हरिहर राय की मौत हो गई थी। वहीं दो आरोपित चंद्री देवी व भोला राय को बरी कर दिया गया। बचे तीन आरोपितों को दोषी करार दिया गया। एपीपी ने गवाहों और घटना से जुड़े साक्ष्यों को कोर्ट में पेश किया था।

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