Muzaffarpur news : बीआरएबीयू के नाम की जम्मू कश्मीर में मिली संदिग्ध डिग्री, जाली होने के प्रमाण
जम्मू कश्मीर में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम से जारी एक संदिग्ध डिग्री मिली है, जिसे क्राइम ब्रांच ने सत्यापन के लिए भेजा है। प्रथम दृष्टया डिग्र ...और पढ़ें

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी डिग्री जारी करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अब जम्मू कश्मीर में विश्वविद्यालय के नाम से जारी एक संदिग्ध डिग्री मिली है।
जम्मू कश्मीर क्राइम ब्रांच की ओर से डिग्री के सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय को भेजा गया है। प्रथम दृष्टया डिग्री फर्जी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार के भी जाली दस्तखत है। साथ ही डिग्री के फार्मेट में अंतर है।
इस पर कालेज का नाम श्याम नंदन सहाय लिखा है। साथ ही कालेज के नाम के आगे मुजफ्फरपुर भी लिखा है। विश्वविद्यालय की ओर से जारी होने वाली डिग्री में कालेज का शार्ट नाम लिखा जाता है।
मो.एजाज हुसैन के नाम से यह डिग्री जारी की गई है। इसमें दर्ज किया गया है कि छात्र ने सामान्य स्नातक (बीए जनरल) से जुलाई 2004 में हुई परीक्षा उत्तीर्ण की है। इसमें कालेज का नाम एसएन सहाय बताया गया है। जम्मू कश्मीर क्राइम ब्रांच की ओर से विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर इसके सत्यापन की मांग की गई है।
विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग की ओर से टीआर समेत अन्य रिकार्ड के आधार पर इसका सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद इसकी रिपोर्ट जम्मू कश्मीर के क्राइम ब्रांच को भेजी जाएगी।
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो.समीर कुमार शर्मा ने कहा जम्मू कश्मीर क्राइम ब्रांच की ओर से डिग्री को सत्यापन के लिए भेजा गया है। इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। जल्द ही रिपोर्ट भेजी जाएगी।
गुजरात, पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र में मिल चुकी हैं कई फर्जी डिग्रियां
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम पर जारी की गईं जाली डिग्री गुजरात, पंजाब, छत्तीसगढ़, हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र में मिल चुकी हैं।
जुलाई में गुजरात के गांधीनगर क्राइम ब्रांच की ओर से 70 संदिग्ध डिग्रियों की जांच के लिए विश्वविद्यालय भेजा गया था। इसमें अधिकतर फर्जी मिलीं। इससे पहले महाराष्ट्र से लेकर गुजरात में बीएचएमएस की दर्जनों फर्जी डिग्री मिल चुकी हैं। कई बार शिकायत के आधार पर जांच में जब डिग्री पर संदेह होता है तो इसके सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय को भेजा जाता है। सत्यापन के बाद इसकी रिपोर्ट भेजी जाती है।

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