मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना को लेकर बड़ा अपडेट, 300,000 छात्राओं के आवेदन पेंडिंग...यहां फंसा है मामला
बिहार के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत तीन लाख से ज्यादा छात्राओं के आवेदन लंबित हैं। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी संस्थानों को पत्र भेजकर इन आवेदनों को शीघ्र अनुमोदित करने का आग्रह किया है ताकि छात्राओं को योजना का लाभ मिल सके। सबसे ज्यादा आवेदन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर में लंबित हैं।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय समेत राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों को मिलाकर मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत मुख्यमंत्री बालिका (स्नातक) प्रोत्साहन योजना के लिए नवनिर्मित पोर्टल पर छात्राओं के आवेदन को अनुमोदित नहीं किया जा रहा है।
राज्य के विश्वविद्यालय और कालेजों को मिलाकर कुल 28 संस्थानों में तीन लाख एक हजार तीन सौ छत्तीस आवेदन पेंडिंग है। उच्च शिक्षा निदेशक ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव को पत्र भेजा है। इसमें छात्राओं के आवेदन को शीघ्र ही अनुमोदित किए जाने की बात कही गई है।
बीआरएबीयू में सबसे अधिक आवेदन पेंडिंग है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 58467, एलएनएमयू में 53942, एकेयू में 1541, नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में 627, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में 37, बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी में 24, ललित नारायण मिश्रा इंस्टीट्युट आफ इकोनामिक डेवलपमेंट और सोशल चेंज में 29, एनआइटी पटना में 19, बीएन मंडल विश्वविद्यालय में 13244, मगध यूनिवर्सिटी में 38280, केएसडीएसयू दरभंगा में 401, सीयूएसबी गया में 85, पूर्णिया विश्वविद्यालय में 11601, आइजीआइएमएस में 104, जेपी यूनिवर्सिटी में 6079, वीकेएसयू में 45372, इग्नू में 3575, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में 29451, टीएमबीयू भागलपुर में 22928, पटना यूनिवर्सिटी में 2547, मुंगेर यूनिवर्सिटी में 11541, बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में 1164 छात्राओं के आवेदन लंबित हैं। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी संस्थानों को निर्देश जारी किया गया है कि वे छात्राओं के आवेदन की जांच करते हुए जल्द से जल्द अनुमोदित करें ताकि उन्हें योजना का लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का लाभ लेने के लिए छात्राओं को इस बार काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। पहले पात्र छात्राएं विश्वविद्यालय का चक्कर लगाती रहीं। जब यहां हंगामा की स्थिति बनी तो यह आदेश दे दिया गया कि इसके लिए जरूरी कागजात कालेज माध्यम से ही जमा लिए जाएंगे।
इसके बाद भी वैसी छात्राओं का मुख्यालय आना जारी रहा जिसका मार्क्सशीट पेंडिंग था। कुछ छात्राओं का रिजल्ट पेंडिंग होने की वजह से परेशानी हुई।
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