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    मकसूदपुर में 'शेर-ए-बिहार' का उर्स

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    Updated: Tue, 25 Dec 2012 01:23 AM (IST)

    औराई (मुजफ्फरपुर), निप्र : 'शेर-ए-बिहार' हजरत मुफ्ती असलम रिजवी के उर्स के दूसरे दिन सोमवार को देशभर के अकीदतमंद उन्हें याद करने के लिए औराई प्रखंड के मकसूदपुर पहुंचे। इस कारण मदरसा जामिया कादरिया ही नहीं पूरा इलाका गुलजार हो उठा है।

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    मकसूदपुर जानेवाली सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें दिखीं। यही नहीं बड़ी संख्या में लोग पैदल यात्रा करते नजर आए। पहुंचने वाले हर अकीदतमंद की जुबान पर शेर-ए-बिहार छाए रहे। कड़ाके की ठंड भी अकीदतमंदों का हौसला पस्त नहीं कर सकी। लोग झुंड में मजारों पर पहुंचते रहे। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी अकीदत में सराबोर दिखे। नारे तकबीर अल्लाहु अकबर और शेर-ए-बिहार का दामन नहीं छोड़ेंगे का नारा गूंजता रहा। सुबह से देर रात तक लोगों ने गाजे-बाजे के साथ चादरपोशी की। गायघाट के पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने आज चादरपोशी की।

    सज्जादानशीं हजरत मौलाना अरशद रिजवी ने कहा, वे सुन्नी जमाअत के नामचीन उलेमाओं में से एक थे। इल्म के समंदर थे। सुन्नी उलेमाओं ने उन्हें शेर-ए-बिहार का खिताब दिया था। हजरत के सहाबजादे हाफिज मो. इरफान रिजवी ने बताया कि देश के कोने-कोने से उनके मानने वाले यहां पहुंचे हैं। हैदराबाद से आए मुरीद कमर आलम रिजवी ने कहा कि उनकी कोई सानी नहीं। वे इल्म का खजाना थे। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।

    मजार की रखी गई बुनियाद

    इस मौके पर शेर-ए-बिहार के मजार की बुनियाद रखी गई। हाफिज इरफान रिजवी ने बताया कि हजरत का आलीशान मजार बनाया जाएगा। मकसूदपुर इलाका हजरत के नाम से जाना जाता है।

    बच्चों की हुई दस्तारबंदी

    उर्स पर मदरसा से तालीम पूरी कर चुके 30 बच्चों की दस्तारबंदी की गई। इससे पूर्व कांफ्रेंस का आयोजन हुआ, जिसमें देश के प्रख्यात उलेमाओं और शायरों ने हिस्सा लिया। शायरों ने पूरी रात नात और मनकबत पेशकर अकीदतमंदों को रूहानी ताजगी दी। वहीं, उलेमाओं ने अल्लाह के वलियों का मर्तबा बयान किया।

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