रजिस्ट्री ऑफिस ने लिखी नई इबारत
अजय रत्न, मुजफ्फरपुर : जिला रजिस्ट्री ऑफिस ऐतिहासिक बदलाव के मोड़ पर है। यहां पहली बार रजिस्ट्री के नए प्रारूप में आवेदन पत्र भर कर जमीन का निबंधन हुआ। वहीं, सरकार ने कातिबों की वर्षो से लंबित मांग मान ली है। अब भूमि और मकान क्रय-विक्रय संबंधी दस्तावेज लेखन फीस में असाधारण वृद्धि कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार, काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के मझौलिया निवासी मो.शफीक ने एक जमीन की बिक्री नए प्रारूप में की। आवेदन पत्र का नाम है निर्विवाद विक्रय पत्र। इसके प्रमुख कालम हैं विक्रेता की विवरणी, क्रेता की विवरणी, लेखा प्रकार, विक्रय मूल्य आदि। इसे अब कोई भी भर सकता है। कातिब की आवश्यकता नहीं होगी। निबंधन विभाग की स्थापना के बाद यह पहला अवसर है जब बिना कातिब रजिस्ट्री हुई है।
पहले क्या था लेखन शुल्क
वर्ष 1988 में निर्धारित दर प्रतिलिपि निरीक्षण या तलाशी के आवेदन पर शुल्क 50 पैसे, अन्य प्रकार के आवेदन पर 50 पैसे तथा सभी प्रकार के दस्तावेज लेखन का शुल्क 2 रुपये था। निबंधन शुल्क 500 रुपये तक पर दो रुपये, 501 से 1000 तक 5 रुपये, 1001 से 3000 तक 7 रुपये, 3000 रुपये से ऊपर तक 9 रुपये था। अक्टूबर 2012 से लागू लेखन शुल्क इस प्रकार है- निरीक्षण या तलाशी के आवेदन का शुल्क 10 रुपये, अन्य सभी प्रकार के आवेदन पत्र पर 15 रुपये तथा सभी प्रकार के दस्तावेज भरने का शुल्क 200 रुपये है। रजिस्ट्री शुल्क एक लाख तक 200 रुपये, एक से पांच लाख तक एक हजार रुपये, 5 लाख से 10 लाख तक 1500 रुपये व 10 लाख रुपये से अधिक पर 2500 रुपये है।
'कातिबों ने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि लेखन कार्य के लिए सरकार इतनी फीस बढ़ाएगी। हालांकि,इसके लिए उनका संगठन राज्य स्तर पर वर्षो से मांग कर रहा था। अब देखना यह है कि जनता इस दर के मुताबिक उन्हें फीस देती है या नहीं।'
- सत्य नारायण ठाकुर, अध्यक्ष
जिला कातिब संघ
'सरकार की मंशा आम आदमी को कातिबों से मुक्त रखने की है। इसलिए स्वयं आवेदन देने का नियम लागू किया गया है। उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर इसे शुरू करने में सफल रहा है।'
-शाहिद जमील अहमद
जिला अवर निबंधक
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