जन्म के पहले मिनट में सर्वाधिक केयर जरूरी
मुजफ्फरपुर, कासं : वैसे तो किसी भी नवजात के लिए पहला महीना और पहला साल अहम है। मगर, सबसे महत्वपूर्ण समय होता है पहला मिनट। इस दौरान पूरी सतर्कता बरतनी जरूरी है।
शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से रविवार को एक रेस्टूरेंट में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों को प्रशिक्षण दिए गए। इसमें बताया गया कि जन्म के पहले मिनट में अगर बच्चा नहीं रोता है तो यह खतरे की घंटी है। इसके लिए पहले तीस सेकेंड में पोंछने, पोजिशनिंग, चूसना और रुलाने की क्रिया की जानी चाहिए। फिर भी बच्चा नहीं रोए तो उसे कृत्रिम सांस दी जानी चाहिए। इससे नवजात की जिंदगी बच सकती है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण शाह ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष तीन लाख नवजात की मौत इसी वजह से हो जाती है। इस प्रक्रिया से उसे बचाया जा सकता है। हालांकि डॉ. शाह का मानना है कि मकसद देश के उन 14 लाख शिशु को बचाना है जो अपना पहला महीना भी पूरा नहीं कर पाते। ऐसा दूध नहीं पिलाने, इंफेक्शन, डायरिया आदि के कारण होता है। यहां भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। मां को हमेशा अपने शिशु पर ध्यान देना चाहिए। उसके डेंजर साइन (खतरनाक संकेतों) को समझना होगा। मसलन दूध सही से नहीं पीना और बच्चों में पीलापन आना। इन खतरों को भांपकर तुरंत अलर्ट हो जाएं और उचित उपचार के लिए चिकित्सक से संपर्क करें। वहीं शिशु को मां से चिपकाकर गर्म रखें (कंगारू मदर), इंफेक्शन से बचाएं।
इससे पहले कार्यशाला का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. ज्ञान भूषण ने किया। वहीं डॉ. ब्रजमोहन, डॉ. रंजना मिश्रा, डॉ. निशि बाला, डॉ. विभा वर्मा, डॉ. सुभद्रा कुमारी, डॉ. विभा सिंह, डॉ. सुनीती झा, डॉ. शशि चौधरी, डॉ. तुलिका, डॉ. किरण कुमारी, डॉ. प्रतिमा आनंद, डॉ. आशा सिंह ने इसमें भाग लिया।
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