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    लाखों कंधों से होकर सुपुर्द-ए-खाक हुए शेर-ए-बिहार

    By Edited By:
    Updated: Sat, 07 Jan 2012 10:24 PM (IST)

    हजरत मुफ्ती असलम रिजवी के जनाजे में शामिल हुए डेढ़ लाख से भी अधिक लोग

    - क्षेत्र ही नहीं देश-विदेश से भी पहुंचे लोगों ने की शिरकत, नहीं थी तिल रखने की भी जगह नहीं

    मुजफ्फरपुर/औराई, जाटी : लाखों का मजमा, हर आंखें नम, अपने पीर को एक झलक देखने के लिए सभी बदहवास, जुबान पर बस यहीं कि हमारा रहबर और रहनुमा नहीं रहा। शनिवार को शेरे बिहार हजरत मुफ्ती असलम रिजवी के जनाजे को लेकर ये मंजर औराई प्रखंड के मकसूदपुर का था। हजरत की शख्सियत का अहसास मकसूदपुर ही नहीं, आसपास की कई पंचायतें में भी अकीदतमंदों के उमड़े सैलाब ने कराया। इलाके का चप्पा-चप्पा हजरत की लोकप्रियता का अहसास करा रहा था। जनाजे में देश ही नहीं, विदेशों से आये उनके मानने वालों ने शिरकत की। लगभग डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने उन्हें नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी। शेरे बिहार को कंधा देने के लिए अकीदतमंदों में होड़ मची रही। सब की बस यहीं तमन्ना थी कि वे अपने रहनुमा का आखिरी दीदार कर उन्हें कंधा दें। जनाजे की नमाज औराई उच्च विद्यालय में हुई। जनाजे की नमाज उनके पुत्र मुफ्ती हजरत अहसन रजा ने पढ़ाई। जनाजे के बाद हजरत की तामीर की हुई। मदरसा जामे कादरिया के बगल की जमीन में उन्हें सुपुर्द-ए- खाक किया गया।

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    ताबूत में बांधे गए थे 20 फीट के बांस

    अकीदतमंदों को हजरत शेरे बिहार के जनाजे को कंधा देने की चाहत को पूरा करने के लिए उनके ताबूत के हर पव्वे में बीस-बीस फीट के बांस बांधे गए थे। इसके बावजूद कंधा देने की सब की हसरत पूरी नहीं हो सकी। भीड़ का आलम ये था कि मदरसे से जनाजा पढ़ाने के स्थल की चंद कदम की दूरी को तय करने में एक घटा से अधिक समय लगा। दोपहर डेढ़ बजे के करीब नमाजे जनाजा अदा हुई और ढ़ाई बजे के करीब बड़े ही अदब व एहतराम के साथ उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

    पांच किमी पहले ही खड़े करने पड़े वाहन

    जनाजे में वाहन से आनेवाले लोगों को मदरसा से पांच किमी पहले ही अपने वाहन खड़े करने पड़े। मुजफ्फरपुर से आने वाले लोगों को भैरवस्थान के पास तो बेनीबाद की तरह से आनेवालों को सिमरी में वाहन छोड़ कर पैदल मदरसा पहुंचना पड़ा।

    पहुंचे प्रख्यात उलेमा-शायर

    जनाजे में प्रख्यात उलेमा व शायरों ने भी शिरकत की। शेरे नेपाल हजरत मुफ्ती मो. जैद, हजरत मौलाना कमरे आलम, हजरत मुफ्ती इश्तेयाक अहमद, मौलाना अबुल हक्कानी, मौलाना शाकीबुल कादरी, मौलाना जमाल औरंगाबादी, मुफ्ती शमीमुल कादरी, मौलाना बेलाल, शिब्तैन रजा, फरशी कलाम, मौलाना साकिर नूरी समेत देश व विदेशों से आए प्रख्यात उलेमाओं व शायरों ने शिरकत की। इसके साथ ही कई जनप्रतिनिधि भी उनके अंतिम दीदार को पहुंचे। सांसद अर्जुन राय, पूर्व नगर विधायक विजेंद्र चौधरी समेत कई जनप्रतिनिधि भी मौके पर उपस्थित थे।

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