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    संविदा पर बहाल 865 एएनएम ने लगाया भेदभाव का आरोप, कहा- समान काम के बावजूद वेतन में किया जा रहा अंतर

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 01:32 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर में एएनएम ने वेतन असमानता को लेकर सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर धरना दिया। उन्होंने 2022 से निर्धारित मानदेय में कोई बदलाव न होने की शिकायत की। 26 की जगह केवल 13 एएनएम काम कर रही हैं जिससे उन पर अत्यधिक दबाव है। उन्होंने चेतावनी दी कि मांगें पूरी न होने पर वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगी। उनकी मांगों में मानदेय पुनरीक्षण और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

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    काम समान, वेतन में भेदभाव पर आक्रोशित एएनएम धरने पर उतरीं। जागरण

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी एएनएम को सदर या पीएचसी में कार्यरत एएनएम की तरह वेतन नहीं मिल रहा। इसको लेकर नाराज एएनएम ने सिविल सर्जन कार्यालय के पास धरना देकर विरोध जताया और जमकर नारेबाजी की।

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    एएनएम बबीता और अर्चना ने बताया कि शहरी क्षेत्र में टीकाकरण को गति देने के लिए 2022 में एएनएम की बहाली हुई थी। उस समय जो मानदेय तय किया गया था, अब भी वही मिल रहा है। स्थिति यह है कि 26 एएनएम की जगह केवल 13 एएनएम काम कर रही हैं और उन पर सभी काम की जवाबदेही डाली गई है।

    चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो राज्यव्यापी आंदोलन के तहत काम का बहिष्कार किया जाएगा। मालूम हो कि इस कैडर में राज्य स्तर पर कुल 865 संविदाकर्मी एएनएम कार्यरत हैं।

    इन मांगों को लेकर आंदोलन

    मानदेय का पुनरीक्षण,वार्षिक वेतन वृद्धि लागू करना,नियमित नियुक्ति होने तक 26 हजार रुपये मासिक वेतनमान देना, गृह जिला में स्थानांतरण की सुविधा,ईपीएफ और ईएसआई की सुविधा,लंबित भुगतान का अविलंब निष्पादन, मोबाइल डाटा सुविधा, प्रत्येक केंद्र पर दो एएनएम की नियुक्ति की मांग की है।

    कालेज के दैनिक वेतन भोगियों को भी मिले समान काम-समान वेतन

    मुजफ्फरपुर: महाविद्यालय दैनिक वेतन भोगी-संविदा कर्मचारी संघ ने शुक्रवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को अपनी विभिन्न मांगों का ज्ञापन सौंपा। संघ के सचिव अमूल्य कुमार ने कहा कि महाविद्यालय में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन उदासीन और नकारात्मक रवैया अपना रहा है।

    दूसरी ओर संविदा कर्मी वर्षों से महाविद्यालयों में निष्ठापूर्वक कार्य कर रहे हैं। उनसे नियमित कर्मचारियों की तरह सेवा भी ली जाती है। ऐसे में उन्हें समान कार्य के बदले समान वेतन दिया जाए।

    उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध पिछले 8 से 10 वर्षों से भी अधिक समय से कार्य कर रहे कर्मचारियों को अविलंब नियमित किया जाए।

    नियमित करने के उपरांत ही राज्य सरकार में रिक्ति भेजी जाए। विश्वविद्यालय में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की तरह ही महाविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का भी ईपीएफ कटौती की जाए।

    संघ के अध्यक्ष राहुल कुमार ने कहा कि महाविद्यालय में कार्य कर रहे कर्मचारियों का भुगतान रोकेने वाले प्राचार्यों को अविलंब भुगतान का निर्देश दिया जाए। संघ ने कुलपति से आग्रह किया है कि संघ की विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए वार्ता के लिए समय निर्धारित किया जाए ।