लोकतंत्र में पांचवां स्तंभ की महत्वपूर्ण भूमिका: डॉ. मृदुला
मुजफ्फरपुर। लोकतंत्र की सफलता और जीवंतता के लिए पांचवां स्तंभ की महत्वपूर्ण भूमिका है। समाज के चतु
मुजफ्फरपुर। लोकतंत्र की सफलता और जीवंतता के लिए पांचवां स्तंभ की महत्वपूर्ण भूमिका है। समाज के चतुर्दिक विकास में भी यह टिकाऊ है। ये बातें गोवा की राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा ने कहीं। वे सोमवार को ¨हदी मासिक पत्रिका पांचवां स्तंभ पाठक मंच के तत्वावधान में विवि के सीनेट हाल में आयोजित 'समाज के चतुर्दिक विकास में पांचवां स्तंभ (स्वैच्छिक क्षेत्र) की भूमिका' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं।
अटल जी ने कराई थी पहचान
उन्होंने कहा कि देश और समाज को संचालित और व्यवस्थित रखने में चार खंभे विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया को ही केंद्र में रखा गया है। इसके साथ एक पांचवां स्तंभ स्वैच्छिक गतिविधियों का भी है। इस पर ध्यान देने की जरूरत मैंने महसूस की थी। इसके क्रियान्वयन के लिए अरसे से सक्रिय रही हूं। विगत दस वर्षो से तो पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है, लेकिन इससे भी पहले देश और समाज स्तर पर व्यापक संदेश देने के लिए मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से अनुरोध किया था। उनसे कहा कि जब तक आप इसके महत्व पर प्रकाश नहीं डालेंगे, तब तक मेरी बात पर लोग भरोसा नहीं करेंगे। इसके बाद अटल जी इसकी चर्चा करने लगे। आज इसका महत्व बढ़ाने का श्रेय अटल जी को ही जाता है।
एनजीओ न कहें
राज्यपाल ने कहा कि एनजीओ, अंग्रेजी में एन यानी ना से शुरू होने से मुझे नकारात्मक लगा, इसीलिए अपील है कि स्वैच्छिक क्षेत्र ही एनजीओ को कहें। इसमें जनता की सक्रियता भी शामिल है।
अपने विकास तक न रहें सीमित
डॉ. मृदुला ने कहा कि पांचवां स्तंभ यह संदेश भी देता है कि सिर्फ अपने विकास के लिए ही न सोचें, बल्कि पड़ोस में कोई भूखा न सोए, यह भी देखें। कोई मुसीबत में है तो उसकी मदद करें। यानी संवेदनशील बनें।
आम जनता को मिले लाभ
कुलपति पंडित पलांडे ने कहा कि पांचवां स्तंभ की सक्रियता का लाभ आम जनता को मिले, इसके लिए पत्रिका को वेबसाइट पर डालें। डॉ. शिवदास पांडेय ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सूत्र भी पांचवां स्तंभ से जुड़ा है। ज्ञान के क्षेत्र में हम एकांगी नहीं, बल्कि सभी खिड़कियां खोलकर चारों दिशाओं से पाश्चात्य बौद्धिकता को भी स्वीकार करते हैं। प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वीरेंद्र किशोर ने समाज में व्याप्त विश्वसनीयता के संकट पर प्रकाश डाला। कहा कि ज्यादातर एनजीओ कागज पर चलते हैं।
संचालन करते हुए डॉ. संजय पंकज ने विषय प्रवर्तन किया। कहा कि सबकुछ सरकार के भरोसे नहीं होना चाहिए। समाज की भी अपनी जिम्मेदारी होती है। विशिष्ट अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रामकृपाल सिन्हा रहे। कुलसचिव डॉ. रत्नेश मिश्र व विकास पदाधिकारी डॉ. कल्याण कुमार झा उपस्थित थे।
ये रहीं आयोजन की गतिविधियां
इससे पहले दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बैच, पुष्प गुच्छ से अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत गीत प्रसिद्ध गायिका डॉ. पुष्पा प्रसाद ने गाया। निर्माण गीत कविता कुमारी व स्वीकृति भारती ने प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण डॉ. तारण राय ने किया। पांचवां स्तंभ पत्रिका की संपादक डॉ. संगीता सिन्हा का सम्मान हुआ। सम्मान पत्र डॉ. संजय पंकज ने पढ़ा। स्मृति चिन्ह रविशंकर प्रसाद सिंह ने दिया। शॉल डॉ. मोनालिसा पाठक ने पहनाया। धन्यवाद कुलानुशासक डॉ. सतीश कुमार राय व डॉ. महेश प्रसाद राय ने दिया।
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