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    अपर समाहर्ता के आदेश पर सीओ ने उठाए सवाल

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    Updated: Thu, 28 Jan 2016 05:03 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर : एनएच-28 की जमीन की जमाबंदी को लेकर कांटी के अंचलाधिकारी ने तत्कालीन अपर समाहर्ता को कटघ

    मुजफ्फरपुर : एनएच-28 की जमीन की जमाबंदी को लेकर कांटी के अंचलाधिकारी ने तत्कालीन अपर समाहर्ता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अपर समाहर्ता रजनीश कुमार को भेजे पत्र में सीओ अंगद सिंह ने कहा कि जिस जमीन की जमाबंदी एनएच-28 के नाम से होनी थी उसे कई लोगों के नाम से कर दी गई।

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    वर्षो बाद आपत्ति से सवाल

    अहियापुर थानाक्षेत्र के बैरिया गोलंबर स्थित कुछ जमीन को लेकर उच्च न्यायालय में मामला चल रहा। इसमें शपथ पत्र दायर किया जाना है। इसे लेकर सीओ का कहना है कि जब तक पांच जमाबंदियों को रद नहीं किया जाता शपथ पत्र दायर नहीं किया जा सकता। वर्ष 2008 में कायम की गई जमाबंदी को लेकर इतने वर्षो बाद आपत्ति आने पर सवाल उठ रहे।

    सीओ स्तर से कैसे कर

    दी गई थी जमाबंदी

    सीओ के पत्र के अनुसार वर्ष 2008-09 में अपर समाहर्ता न्यायालय के आदेश पर डॉ. धीरेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र अमृतांश व पत्नी अर्चना सिंह के नाम से पांच जमाबंदी की गई। इसके अलावा सात अन्य जमाबंदियों को तत्कालीन डीसीएलआर पश्चिमी के आदेश पर रद कर उसे एनएच-28 के नाम से कर दिया गया। यहां सवाल ये उठ रहा कि शुरुआती चरण में तत्कालीन अंचलाधिकारी द्वारा इन सभी जमाबंदी कैसे कायम कर दी गई थी। पुन: वर्तमान सीओ द्वारा यह कहा जाना कि जमाबंदी गलत की गई थी पूर्ववर्ती अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करता है।

    खासमहाल व सरकारी

    जमीन की यही स्थिति

    जिले में खासमहाल व सरकारी जमीन के मामले में अधिकारी हाथ नहीं डालने चाहते। वे इसे बाद के अधिकारी के लिए एक टास्क छोड़कर जाना चाहते। जिले में खासमहाल की कई जमीन पर अवैध निर्माण हुए व हो रहे। मगर, डीएम व अन्य वरीय अधिकारियों के आदेश का भी इनपर असर नहीं होता। मीनाबाजार में खासमहाल की जमीन पर निर्माण होता रहा और अधिकारी कागज पर बस आदेश ही जारी करते रहे। ब्रह्मापुरा स्थित कबीर मठ की जमीन पर कब्जे को लेकर डीएम धर्मेद्र सिंह ने डीसीएलआर पूर्वी को जांच कर रिपोर्ट मांगी। मगर, इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। आखिर कब समय रहते हो सकेगी कार्रवाई।