टू इन वन लाह की चूड़ी का क्रेज
मुजफ्फरपुर। पुराने युग की तरह आज के आधुनिक युग में भी लाह की चूड़ियों का महत्व बरकरार है। आज फैशन के ...और पढ़ें

मुजफ्फरपुर। पुराने युग की तरह आज के आधुनिक युग में भी लाह की चूड़ियों का महत्व बरकरार है। आज फैशन के इस युग में रोजाना नित नए आकार-प्रकार में ढलकर हाथों की शोभा बनने वाले इन कंगनों की वेरायटी नए-नए लुक में मार्केट में है। छठ पर्व को लेकर इसकी मांग ज्यादा है।
नया लुक है आकर्षण का कारण
नए लुक में आई 160 रुपये सेट वाली टू इन वन चूड़ी सबके आकर्षण का कारण बनी है। वहीं नग वाली लहेरिया व एडी नग वाली लहठी के साथ जयपुरी चुंदरी भी महिलाओं के मन को भा रही है। लाह मेटल वाली चूड़ी भी बहुत चलन में है।
लाह की चूड़ियों का महत्व
लाह की इन चूड़ियों का महत्व खास तौर पर करवा चौथ, छठ तथा मागलिक कायरें में बहुत अधिक रहता है। बाबा लहठी के मो. अब्दुल सत्तार व शिराज की मानें तो शुद्धता को लेकर छठ पर्व में लाह की चूड़ियों की डिमांड ज्यादा है। ऊँ लहठी भंडार के मालिक कहते हैं कि महिलाएं शीशे से अधिक लाह की डिजाइनर चूड़ियां पसंद करती हैं।
क्या कहती हैं लाह की कहानी
बुजुर्गों की मानें तो भगवान शिव के मैल से बना लाह देने वाला कीट आधुनिक युग में भी अपनी पहचान कायम रखे हुए है। लाह के विषय में कहा जाता है कि विवाह के समय माता पार्वती को उपहार देने हेतु भगवान भोलेनाथ ने स्वयं के शरीर से मैल निकालकर लाह का कीट बनाया था। और तभी से लाह का निर्माण प्रारंभ हुआ है। पूर्व में कंगनों के निर्माण हेतु भांग घोटने के पत्थर का उपयोग ज्यादा होता था।
ये है मार्केट रेट
टू इन वन - 160 का एक सेट
तिरंगा लाह लहठी - 175 का सेट
चुंदरी लहठी - 40 - 100 रुपये
लहेरिया वाली - 80 रुपये
जयपुरी चुंदरी - 100 - 120 रुपये
एडी नग वाली लाह चूड़ी 250 का सेट।

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