भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाके से 100 से ज्यादा लड़कियां लापता, मानवाधिकार आयोग पहुंचा मामला
भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र से 100 से अधिक लड़कियों के लापता होने की घटना सामने आई है, जिसके कारण यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) तक पहुंच गया है। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी की आशंका जताई है।

भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाके से 100 से ज्यादा लड़कियां लापता (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संजीव कुमार, मुजफ्फरपुर। छह महीने के भीतर राज्य के सीमावर्ती इलाकों से 100 से ज्यादा लड़कियों के लापता होने का मामला मानवाधिकार आयोग में पहुंच गया है। मामले में मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग में दो अलग-अलग याचिका दायर की है।
अधिवक्ता ने बताया कि देश के अलावा नेपाल, चीन, ब्राजील, सऊदी अरब में करोड़ों में बेटियां बेची जा रही हैं। मोतिहारी से सटे भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में इस प्रकार की घटना को अंजाम देने वाले तस्कर काफी संख्या में सक्रिय हैं।
अधिवक्ता ने कहा कि जुलाई में रक्सौल से 10, रामगढ़वा से तीन, आदापुर से चार, अगस्त में रक्सौल अनुमंडल के भेलाही, कौड़ीहार सहित विभिन्न स्थानों से 18, सितंबर में पूरे अनुमंडल के विभिन्न स्थानों से एक महिला सहित 17, अक्टूबर में 15 और नवंबर में 15 सहित कुल 83 लड़कियां लापता हुई हैं। नशीला पदार्थ के धंधेबाजों द्वारा लड़कियों का इस्तेमाल नशीले पदार्थ की तस्करी में किया जाता है।
इसके अलावा भारत के जम्मू-कश्मीर, पांडिचेरी, चीन, सऊदी अरब, दुबई समेत गल्फ कंट्री, अर्जेंटीना जैसे देशों में शादी कराकर बच्चा पैदा करने, जेनरेशन चेंज कराने, बच्चे को दूध पिलाने तथा देह व्यापार जैसे कायों के लिए भी लड़कियों को फंसाकर विदेश भेज दिया जाता है। शादी तथा बॉडी पार्ट्स की खरीद-फरोख्त के लिए भी लड़कियों की बड़े पैमाने पर विदेशों में तस्करी किए जाने का पर्दाफाश हुआ है।
छह महीने में सीमा क्षेत्र से 100 से अधिक लड़कियां लापता हो चुकी हैं। बॉर्डर पर सक्रिय अपने देश के अलावा नेपाल, चीन, ब्राजील, सऊदी अरब आदि देशों के मानव तस्करों के सिंडिकेट इन लड़कियों को ऊंचे मूल्य पर बेचकर लाखों-करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाते हैं। पिछले दिनों इनमें से महज एक दर्जन लड़कियों को रेस्क्यू किया गया था। शेष अब भी लापता हैं। रेस्क्यू की गई लड़कियों में चार लड़कियां एक ही परिवार की थी। लगातार ऐसी घटनाओं के घटने से सीमावर्ती क्षेत्र के स्वजन के बीच डर का माहौल व्याप्त है।
मानवाधिकार अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला काफी संवेदनशील व मानवता को शर्मसार करने वाला है। साथ ही यह पुलिस की कार्यशैली और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है। इसके लिए आयोग से मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की गई हैं। -

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