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    Bihar News: पत्नी मूक बधिर और पति पैर से लाचार, नहीं मिली नौकरी तो आत्मनिर्भर बन चला रहे परिवार; ऐसे हो रही मोटी कमाई

    By Rajnish Kumar Edited By: Mukul Kumar
    Updated: Mon, 25 Dec 2023 03:15 PM (IST)

    मुंगेर जिले में एक दंपती दिव्यांग होने के बावजूद कमाई के मामले में मिसाल पेश पेश कर रहे हैं। दोनों ने स्वरोजगार कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया। छोटे-मोटे रोजगार और अपनी छोटी सी जमीन पर खेती-किसानी कर अपने बाल-बच्चों का भरण पोषण कर रहे हैं। पत्नी घर का कामकाज देखते हुए अपने दो पुत्र व एक पुत्री को स्कूल भी भेज रही है।

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    दिव्यांग दंपती चंदन और अर्चना। फोटो- जागरण

    संवाद सूत्र, हेमजापुर (मुंगेर)। जिले के धरहरा प्रखंड अंतर्गत बाहाचौकी गांव के दिव्यांग दंपती आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं। पत्नी मूक बधिर है तो पति दोनों पैर से लाचार। इसके बाद भी दोनों ने जिंदगी से हार नहीं मानी और आज स्वरोजगार कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया।

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    छोटे-मोटे रोजगार और अपनी छोटी सी जमीन पर खेती-किसानी कर अपने बाल-बच्चों का भरण पोषण कर रहे हैं। गांव- समाज के लोग भी इस दंपती के प्रति सम्मान के भाव के साथ गहरी संवेदना रखते हैं। हम बात कर रहे हैं दिव्यांग चंदन और उनकी पत्नी अर्चना की।

    दिव्यांग चंदन की शादी साल 2011 में मूक बधिर महिला अर्चना के साथ हुई। शादी होने के बाद चंदन की पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ गई। पैरों से लाचार चंदन को कोई काम नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में उसकी पत्नी अर्चना ने चंदन का साथ दिया।

    अर्चना स्थानीय जीविका समूह में शामिल हुई और किसी तरह इन्हें 50 हजार का लोन मिल गया। इस पैसे चंदन ने पांच-छह लाउडस्पीकर खरीदा और घर-घर जाकर इसे किराये पर देने लगे, आमदनी हुई और घर-परिवार बढ़िया से चल रहा है। पत्नी घर का कामकाज देखते हुए अपने दो पुत्र व एक पुत्री को स्कूल भी भेज रही है।

    सहायता के नाम पर पेंशन राशि और ट्राई साइकिल

    चंदन को दुख केवल इस बात का है कि 60 प्रतिशत विकलांग होने के बाद भी किसी तरह की सरकारी नौकरी उसे नहीं मिल पाई। वह दसवीं की परीक्षा दे चुका है। सरकार आठवीं पास दिव्यांग को नौकरी देती है।

    इस बात की चिंता छोड़ उन्होंने आत्मनिर्भरता की राह चुनी और स्वरोजगार शुरू किया। चंदन को प्रशासनिक सरकारी सहायता के नाम पर पेंशन राशि और बैटरी चलित साइकिल मिली है।

    दोनों के प्रति गांव के लोगों में सहानुभूति है। कई तरह के समारोह में इनका ही (लाउडस्पीकर) बाजा गांव के लोग उपयोग में लाते हैं। दोनों स्वरोजगार कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। हम इसे आत्मनिर्भरता की दृष्टि से देखते हैं। -रंजू देवी,मुखिया बाहाचौकी पंचायत

    चंदन और अर्चना ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। दिव्यांग दंपती अपना रोजगार कर दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी है। दिव्यांगता को पति-पत्नी ने दोनों ने मिलकर पराजित कर दिया है। -रेखा देवी, सरपंच बाहाचौकी

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