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    Chhath Puja 2022: माता सीता छठ पर्व में बिहार ही क्‍यों आयी? रामायण के साथ मुंगेर गजेटियर में भी है उल्‍लेख

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 29 Oct 2022 08:34 AM (IST)

    Chhath Puja 2022 माता सीता ने मुंगेर में किया था छठ सीताचरण पड़ा मंदिर का नाम। लंका से विजयी प्राप्त कर लौटने के समय भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के साथ रुकी थीं। इसका वर्णन वाल्मीकि व आनंद रामायण के साथ मुंगेर गजेटियर में भी है मंदिर का वर्णन।

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    Chhath Puja 2022: माता सीता ने छठ व्रत में मुंगेर आयी थीं।

    जागरण संवाददाता, मुंगेर। Chhath Puja 2022: लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार से शुरू हो रहा है। 28 अक्टूबर को नहाय-खाय व 29 को खरना है। 30 को संध्याकालीन अर्घ्य है और 31 अक्टूबर को सुबह का अर्घ्य है। इस महापर्व की शुरुआत मुंगेर की धरती से हुई थी। लंका से विजयी प्राप्त कर लौटने के समय माता सीता भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में रुकी थीं।

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    यहां माता सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था। इसका वर्णन वाल्मीकि व आनंद रामायण में भी है। माता सीता के आज भी पवित्र चरण चिह्न मौजूद हैं। अब यह स्थान सीताचरण (जाफर नगर) के नाम से जाना जाता है। यहां मंदिर का निर्माण 1974 में हुआ है।

    वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब भगवान राम वनवास के लिए निकले थे, तब वे मां सीता और लक्ष्मण के साथ स्थानीय मुद्गल ऋषि के आश्रम आए थे। उस वक्त मां सीता ने गंगा मां से वनवास काल सकुशल बीत जाने की प्रार्थना की थी। वनवास व लंका विजय के बाद भगवान राम व मां सीता फिर से मुद्गल ऋषि के आश्रम आए थे। वहां ऋषि ने माता सीता को सूर्य उपासना की सलाह दी थी। उन्हीं के कहने पर मां सीता ने वहीं गंगा नदी में एक टीले पर छठ व्रत किया था। माता सीता ने (वर्तमान) सीता कुंड में स्नान भी किया था।

    कैसे पहुंचे मंदिर

    • सीताचरण मंदिर जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा
    • गर्मी के दिनों में गंगा में पानी कम होने की वजह से पानी नहीं होता है। ऐसे में जाफरनगर से पैदल पहुंच सकते हैं।
    • हर वर्ष सात से आठ माह यह मंदिर पानी में डूबा रहता है।
    • दूसरे रास्ते से जाना चाहे तो करीब सड़क मार्ग से बेगूसराय जिले के बलिया होते हुए रास्ता है।

    मुंगेर गजेटियर में भी उल्लेख

    सीताचरण मंदिर गंगा के बीच एक शिलाखंड पर स्थित है। इस शिलाखंड पर चरणों के निशान है, इसे माता सीता का चरण माना जाता है।दोनों स्थानों के चरण चिन्ह के अग्रभाग में चक्र के निशान हैं। इसका उल्लेख 1926 में प्रकाशित मुंगेर गजेटियर में भी किया गया है। सीता चरण की दूरी कष्टहरनी घाट से नजदीक है। मुंगेर किला से से करीब दो मील की दूरी पर गंगा बीच स्थित है।

    गजेटियर के अनुसार पत्थर में दो चरणों का निशान है, जिसे सीता मां का चरण माना जाता है। यह पत्थर 250 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है। यह जनपद पहले ऋषि मुद्गल के नाम पर मुद्गलपुर था। बाद में इसी के अपभ्रंश का नाम मुंगेर पड़ा।

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