उधर Waqf Bill को लेकर घमासान, इधर बिहार में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को झटका; सचिव ने दिया त्याग पत्र
बिहार झारखंड व ओडिशा के अमीर-ए-शरीयत सह मुंगेर खानकाह रहमानी के सज्जदानशीं हजरत अहमद वली फैसल रहमानी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विचार-विमर्श और व्यापक परामर्श के बाद यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के निर्णय लेने की प्रक्रिया में कमी के कारण वह अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ महसूस कर रहे थे।
संवाद सहयोगी, मुंगेर। बिहार, झारखंड व ओडिशा के अमीर-ए-शरीयत सह मुंगेर खानकाह रहमानी के सज्जदानशीं हजरत अहमद वली फैसल रहमानी ने सोमवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्यता, कार्यकारिणी और सचिव पद से इस्तीफा दे दिया है।
यह निर्णय उन्होंने विचार-विमर्श और व्यापक परामर्श के बाद लिया है। अपने इस्तीफे में उन्होंने पिछले दो वर्षों में बोर्ड के सदस्यों के साथ शरीयत की हिफाजत और देशभर के मुसलमानों के अधिकारों और सम्मान को बढ़ाने की संघर्ष का उल्लेख किया।
जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ
उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय था कि वह इसका हिस्सा बने। हजरत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में बोर्ड के आंतरिक संचार, निर्णय लेने की प्रक्रिया, पूर्वजों की इस्लामी सोच, बोर्ड के उद्देश्यों और इमारत ए शरिया के साथ सामंजस्य की कमी के कारण वह अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ महसूस कर रहे थे।
उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष और महासचिव के साथ प्रभावी सामंजस्य और विश्वास पर आधारित संबंध स्थापित करने में आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि वह मुसलमानों की एकजुटता, एकता और भलाई के लिए अपनी ऊर्जा को समर्पित करने और इस मिशन में पूर्ण निष्ठा के साथ सेवाएं देने का दृढ़ संकल्प रखते हैं।
बिहार, झारखंड व ओडिशा के अमीर-ए-शरीयत सह मुंगेर खानकाह रहमानी के सज्जदानशीं हजरत अहमद वली फैसल रहमानी
हजरत ने इस बात पर जताया दुख
उन्होंने ला बोर्ड के मिशन और प्रयासों की सराहना की और बोर्ड के उद्देश्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। हजरत ने इस बात पर गहरा दुख और खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जनाब कमाल फारूकी साहब, जिन्होंने दशकों तक बोर्ड की सेवा की उन्हें बिना किसी परामर्श और सलाह के कार्यकारिणी से हटा दिया गया। हजरत ने इसे अनुचित करार दिया।
हजरत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने भी कार्यकारिणी पद से इस्तीफा दिया था, जिसे बिना किसी परामर्श के तुरंत स्वीकार कर लिया गया।
ललन सिंह के बयान से बिहार में गरमाई राजनीति
दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह एक बयान से बिहार में राजनीति भी गरमा गई है। ललन सिंह ने रविवार को मुजफ्फरपुर की एक सभा में कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय नीतीश कुमार को वोट नहीं देता।
उनका बयान आने के बाद विधान सभा सत्र के पहले दिन सोमवार को सदन के बाहर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई। सत्ता पक्ष ने जहां ललन सिंह के बयान पर सफाई दी वहीं विपक्ष ने इसकी निंदा की।
नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. जमा खान ने ललन सिंह के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि यह सही नहीं है कि अल्पसंख्यक समुदाय जदयू को वोट नहीं करता। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को हर तबके का समर्थन प्राप्त है और अल्पसंख्यक समुदाय भी उन्हें वोट करता है। मुख्यमंत्री ने सभी जाति वर्ग के लोगों के विकास के लिए काम किया है।
वहीं मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि ललन सिंह के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, ताकि लोगों में भ्रम की स्थिति बनी रहे। ललन सिंह के कहने का अर्थ यह है कि हमने मुसलमानों के लिए जितना काम किया, उस हिसाब से जदयू को वोट नहीं मिल रहा है। इसका हमे दर्द है।
जदयू को और मेहनत करने की जरूरत है। मेरा नेता न हिंदू है न मुसलमान है, न सिख है न ईसाई है। वे इंसान हैं। हमें किसी वकील की जरूरत नहीं है।
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