PM Awas Yojana 2025: पहले से पक्का मकान, अब पीएम आवास योजना के पैसों से बन रहा दरवाजा
मुंगेर के संग्रामपुर नगर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में धांधली का आरोप है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर अपात्रों को लाभ पहुंचाने और रिश्तेदारों को आवास आवंटित करने के आरोप लगे हैं। पहले से पक्के मकान वाले भी योजना का लाभ उठा रहे हैं जबकि असली लाभार्थी इंतजार कर रहे हैं। जांच चल रही है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

आनंद चौहान, संग्रामपुर (मुंगेर)। संग्रामपुर नगर पंचायत क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में जमकर खेल हो रहा है। यहां स्थानीय जनप्रतिनिधि के स्वजन के बीच रेवड़ी की तरह आवास योजना का वितरण किया जा रहा है तथा अपात्र लोग जमकर इसका लाभ भी उठा रहे हैं। दूसरी ओर, असली लाभार्थी जिनका नाम प्रतीक्षा सूची में शामिल है, मूकदर्शक बन नगर सरकार की ओर देख रहे हैं तथा व्यवस्था को कोस रहे हैं।
हद तो यह हो गई कि जिन लोगों का पहले से पक्का मकान बना हुआ है ऐसे लोग जुगाड़ व्यवस्था के तहत आवास योजना का लाभ लेकर उस राशि से दरवाजा बनवा रहे हैं। यह कारनामे को खुलेआम अमलीजामा पहनाया जा रहा है और सरकारी तंत्र मुंह ताक रहा है।
इस योजना के तहत कई ऐसे अपात्र लाभुकों को आवास आवंटित किया गया है, जिसका पहले से पक्का मकान बना हुआ है। ऐसे में ये लोग प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि से दरवाजा का निर्माण करा रहे हैं। दूसरी ओर प्रतीक्षा सूची में शामिल लाभार्थियों को यह दिलासा दिया जा रहा है कि हम हैं न, तीसरे चरण में आपका भी आवास बनेगा।
एक ही व्यक्ति को दो-दो बार मिला लाभ
संग्रामपुर नगर पंचायत का गठन लगभग तीन वर्ष पहले कुसमार और झिकुली पंचायत को विघटित कर किया गया था। इसमें कुसमार पंचायत का संपूर्ण हिस्सा तथा झिकुली पंचायत का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा शामिल था।
ऐसे में पंचायती राज व्यवस्था में जिन लोगों को पीएम आवास योजना ग्रामीण का लाभ दिया गया, नगर पंचायत गठन के बाद ऐसे लोगों को ही पीएम आवास योजना शहरी का लाभ दे दिया गया। इसके अलावा ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधि ने अपने स्वजन के नाम से ही आवास आवंटित करा दिया है।
ऐसी शिकायत पूर्व में भी मिली थी कि स्थानीय जनप्रतिनिधि ने अपने स्वजन को आवास आवंटित कराया है। जांचोपरांत आवास के दूसरे किश्त की राशि भुगतान पर रोक लगा दी गई है। अब फिर ऐसी बात सामने आ रही है। यदि मामला सही पाया गया तो वैसे जनप्रतिनिधि को सदस्यता भी गंवानी पड़ सकती है। - मनीला राज, कार्यपालक पदाधिकारी
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