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    Bihar Election Result 2025: जमालपुर और तारापुर में बना रिकॉर्ड, विरोधियों की उम्मीदों का बिगड़ा गणित

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 08:53 PM (IST)

    मुंगेर जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों ने शानदार जीत दर्ज की है, जिससे विपक्ष की उम्मीदें धराशायी हो गईं। दो दशक बाद जिले की सभी सीटें एनडीए के खाते में गई हैं। मुंगेर में कुमार प्रणय, तारापुर में सम्राट चौधरी और जमालपुर में नचिकेता मंडल ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। इस परिणाम ने जिले की राजनीतिक तस्वीर बदल दी है।

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    सम्राट चौधरी और नचिकेता मंडल।

    रजनीश, मुंगेर। मुंगेर जिले की तीनों विधानसभा सीटों मुंगेर, तारापुर और जमालपुर में इस बार एनडीए प्रत्याशियों ने ऐसा परचम लहराया कि विरोधियों की उम्मीदों का पूरा गणित ही गड़बड़ा गया। दो से तीन दशक बाद पहली बार ऐसा मौका आया है जब जिले की सभी सीटें एनडीए की झोली में चली गईं। चुनावी रणभूमि में नए रिकॉर्ड बने कई पुराने रिकॉर्ड ढहे और वोटों का ऐसा आंकड़ा सामने आया जिसने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी।

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    खास बात यह रही कि विपक्ष ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि इस बार मुकाबला इतना एकतरफा हो जाएगा और जिले से उनका पूरी तरह सफाया हो जाएगा। मुंगेर विधानसभा क्षेत्र के इतिहास में दूसरी बार कमल खिलाने में कुमार प्रणय सफल रहे। यहां मुकाबला पिछली बार की तुलना में थोड़ा सघन जरूर रहा लेकिन अंतिम नतीजे में एनडीए की जीत हुई।

    कुमार प्रणय ने करीब 18 हजार वोटों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी को मात दी मुंगेर की जनता ने विकास के मुद्दों को आधार बनाते हुए दोबारा एनडीए पर भरोसा जताया।

    उधर, तारापुर में जीत का ग्राफ बिल्कुल अलग स्तर पर पहुंच गया। यहां की जनता ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर भरोसा जताते हुए ऐसा जनादेश दिया जिसकी चर्चा लंबे समय तक होती रहेगी। सम्राट चौधरी ने 45 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज कर एक नया रिकॉर्ड कायम कर दिया।

    चुनाव का रुझान शुरू से एनडीए के पक्ष में दिखा और अंतिम राउंड तक यह अंतर और बढ़ता चला गया तारापुर की गलियों में मतगणना के दिन से ही एनडीए समर्थकों का उत्साह देखते बन रहा था। विपरीत परिस्थितियों में भी संगठन की मजबूत पकड़ और कार्यकर्ताओं की रणनीति यहां पूरी तरह रंग लाई।

    जमालपुर में पहली बार मैदान में उतरे नचिकेता मंडल ने जिस तरह अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की उसे लेकर अब क्षेत्र में उनकी चर्चा जोरों पर है। नचिकेता ने लगभग 37 हजार वोटों से दर्ज की। इतनी बड़ी अंतर से यहां से किसी ने जीत दर्ज नहीं की। जीत के साथ विपक्षी खेमे को गहरा झटका दिया।

    यह जीत सिर्फ संख्या के लिहाज से नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश के रूप में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पहली बार चुनाव लड़ते हुए इतनी बड़ी विजय हासिल करना आसान नहीं था, लेकिन जनसमर्थन ने इस चुनौती को आसान बना दिया। वर्षों बाद पूरे जिले में भाजपा व एनडीए गठबंधन का परचम लहराना क्षेत्रीय राजनीति के नए अध्याय की ओर इशारा करता है।

    चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि इस परिणाम में कई कारकों की भूमिका रही एनडीए की संगठनात्मक मजबूती, उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि, सरकार के कामकाज पर जनता की संतुष्टि और विपक्ष का कमजोर प्रदर्शन विपक्ष के लिए यह परिणाम किसी बड़े झटके से कम नहीं। चुनाव प्रचार के दौरान भी विपक्ष मुद्दों को जमीन पर उतारने में पीछे रह गया, जबकि एनडीए ने बूथ स्तर तक अपनी पहुंच मजबूत रखी। यही वजह रही कि तीनों ही सीटों पर विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया।

    आने वाले वर्षों की राजनीति को नई दिशा देने वाला परिणाम

    जिले का यह चुनावी परिणाम आने वाले वर्षों की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। तीनों विजयी उम्मीदवारों के सामने अब विकास का बड़ा एजेंडा है और जनता की अपेक्षाएं भी पहले से अधिक बढ़ गई हैं। स्थानीय समस्याओं का समाधान, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार जैसे वादों को पूरा करना अब इन नेताओं की प्राथमिकता होगी।

    कुल मिलाकर इस बार का विधानसभा चुनाव मुंगेर जिले के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है। तीनों सीटों पर एनडीए की जीत ने न केवल जिले की राजनीतिक तस्वीर बदल दी है, बल्कि आने वाले चुनावों की जमीन भी तैयार कर दी है। जिले की जनता ने अपने फैसले से यह साफ कर दिया कि इस बार उन्हें किसी तरह का राजनीतिक प्रयोग नहीं बल्कि स्थिरता और विकास चाहिए था और एनडीए ने उनके इस भरोसे पर पूरी तरह खरा उतरने का दावा पेश किया है।

    राजद का वोट बढ़ा, अजय से ज्यादा मत नरेंद्र को

    मुंगेर विधानसभा में राजद प्रत्याशी अविनाश कुमार उर्फ मुकेश विद्यार्थी को इस बार 2020 की तुलना में करीब 15 हजार अधिक वोट मिले, लेकिन बढ़े हुए वोट भी उनकी जीत पक्की नहीं कर सकी दिलचस्प यह है कि वोट प्रतिशत बढ़ने के बजाय घट गया। 2020 में मुकेश विद्यार्थी को 44.99 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि इस बार उनका वोट शेयर घटकर 42.25 प्रतिशत पर आ गया।

    अब यह चुनावी चूक कहां हुई, किस क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी ने सेंध लगाई यह राजद के लिए मंथन का विषय बन गया है। आंकड़ों से साफ है कि कई इलाकों में महागठबंधन का पारंपरिक वोट खिसका है। वहीं, जमालपुर में पहली बार आईआईपी से मैदान में उतरे नरेंद्र कुमार उर्फ़ नरेंद्र तांती ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए 48 प्रतिशत वोट हासिल किए।

    उनके इस प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया तुलना करें तो 2020 में इसी सीट से महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी डा. अजय कुमार सिंह को महज 37.65 प्रतिशत वोट मिले थे। तारापुर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार अरुण कुमार को महज 35.52 वोट प्रतशित से संतोष करना पड़ा।