अनुमंडलीय अस्पताल में गरीब मरीजों को थमा दिया जाता है रेफर का पर्चा
मुंगेर। अनुमंडल अस्पताल तारापुर में गरीब मरीजों को अक्सर रेफर का पर्चा थामा दिया जाता है। म ...और पढ़ें

मुंगेर। अनुमंडल अस्पताल तारापुर में गरीब मरीजों को अक्सर रेफर का पर्चा थामा दिया जाता है। मरीज के अभिभावक जब परेशान हो उठते हैं, तो उनसे मोटी रकम की मांग की जाती है। यहां पदस्थापित एक महिला चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं को प्रताड़ित करने के साथ उनका आर्थिक शोषण किए जाने की शिकायत आम है। महिला चिकित्सक अपने उच्च प्रभाव के कारण वर्षों से अनुमंडल अस्पताल में पदस्थापित हैं। प्रभारी उपाधीक्षक सहित किसी अन्य की हिमाकत उन्हें कुछ भी कहने की नहीं है। मरीज के परिजन द्वारा पूछे जाने पर उन्हें पुलिस बुलाकर गिरफ्तार कराने की धमकी भी दे देती है।
गर्भवती महिला को पहले वे जांच करने के बाद दोपहर में ऑपरेशन की बात करती हैं। महिला के परिजन को एक यूनिट खून की व्यवस्था करने को कहती हैं। गर्भवती महिला के परिजन द्वारा सभी व्यवस्था करने के बाद जब ऑपरेशन का समय होता है तो उनके द्वारा परिजन को कहा जाता है कि 20 हजार रुपये दीजिए तभी ऑपरेशन होगा अन्यथा फ्री में एंबुलेंस के द्वारा आपको बड़े अस्पताल में रेफर कर देती हूं। अक्सर इस तरह की शिकायत उक्त महिला चिकित्सक की होती रही है। उनका रूखा व्यवहार अस्पताल के अन्य सहकर्मी चिकित्सकों के लिए भी असहज हो जाता है।
सोमवार को इस प्रकार के तीन मामले आए जिसमें पैसा नहीं देने के कारण उन्होंने तीनों महिला मरीज को रेफर कर दिया। पुन: उनमें एक विषय गांव की पूजा सिंह जो पहले से उनके इलाज में थी का ऑपरेशन करने को राजी हुईं। इस पर अन्य दोनों मरीज के परिजन प्रभारी उपाधीक्षक के आवास पर जाकर शिकायत दर्ज कराई। जब डॉ. सिंह ने परिजनों को कहा कि डॉ नाज बानो जब रेफर कर दिया है तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं। तब अस्पताल के सूचना पट पर अंकित मोबाइल नंबर को देखकर उनमें से एक ने तारापुर एसडीओ उपेंद्र सिंह को फोन कर पूरे मामले की जानकारी दी। अपनी गरीबी का हवाला देते हुए आपबीती सुनाई। एसडीओ ने त्वरित संज्ञान लेकर प्रभारी उपाधीक्षक से आवश्यक कार्रवाई करने को कहा। डॉ. सिंह ने बताया कि उन महिला मरीजों का ऑपरेशन मंगलवार को डॉ नाज बानो द्वारा किया गया है।
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केस स्टडी 1
प्रसव के लिए आई हुई धौनी गांव की पूजा कुमारी की मां सुमन देवी ने बताया कि सुबह 9 बजे डॉ नाज बानो ने मरीज की जांच कर कहा कि दो बजे ऑपरेशन हो जाएगा। खून जांच भी हो गया। इस बीच खून का इंतजाम करने को कहा गया, जो मैंने किया। तीन बजे के करीब कहा कि ऑपरेशन नहीं होगा। उसे रेफर कर दिया। ये कहते हुए कि एंबुलेंस फ्री में देती हूं, मुंगेर चले जाइये। अन्यथा मेरे निजी क्लिनिक पर आइये, 20 हजार लगेगा तो ऑपरेशन कर दूंगी।
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केस स्टडी 2
टेटिया बम्बर प्रखंड के भलगुड़ी निवासी गर्भवती महिला ज्योति देवी के पति ने कहा कि सुबह 8:00 बजे वे पत्नी को लेकर अस्पताल आए थे। डॉ नाज बानो ने मरीज की जांच करने के बाद 2:00 बजे ऑपरेशन करने की बात कही। खून की व्यवस्था करने को कहा। मैंने खून की भी व्यवस्था कर ली थी। ऑपरेशन के समय उन्होंने कहा कि 20 हजार रुपये लेकर मेरे निजी क्लीनिक पर चलिए तो ऑपरेशन होगा। अन्यथा मैं भागलपुर रेफर कर रही हूं। पैसा नहीं दे पाने की स्थिति में मेरी पत्नी को भागलपुर रेफर किया गया । जबकि अन्य दो को भी रेफर किया गया था। जिसमें एक का ऑपरेशन रेफर करने के बाद भी वह कर रही थी।
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केस स्टडी 3
विषय गांव के पूजा सिंह भी प्रसव के लिए अस्पताल आई थी। डॉ. नाज बानो ने उन्हें भी रेफर किया। परंतु फिर रेफर के बावजूद उनका ऑपरेशन वह करने लगी। कहा जाता है कि पूजा सिंह का इलाज पहले से डॉ. नाज बानो कर रही थी। इसी वजह से उन्होंने रेफर करने के बाद भी ऑपरेशन किया।
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बोले प्रभारी उपाधीक्षक
डॉ. नाज बानो भागलपुर से आती हैं। वह समय पर अस्पताल नहीं आती हैं। हमेशा उनके द्वारा समस्या उत्पन्न की जाती है। किसी भी मरीज का रेफर करने के बाद उसका इलाज नहीं होना चाहिए। वैसी परिस्थिति में जब तीन मरीज को रेफर किया गया हो तो फिर उसमें किसी एक का ऑपरेशन करना उचित नहीं है। अस्पताल में मरीज का इलाज बेहतर नहीं होने की स्थिति में ही उसे बड़े अस्पताल में रेफर किया जाता है। डॉ. नाज बानो की शिकायत विभागीय उच्चाधिकारी से भी की जाती रही है।
डॉ. बीएन सिंह, उपाधीक्षक, अनुमंडलीय अस्पताल तारापुर मुंगेर
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बोले एसडीओ
मरीज के परिजन द्वारा शिकायत की गई है। मेरे कहने पर मरीज का ऑपरेशन अस्पताल में डॉक्टर ने किया है। डॉ. नाज बानो की शिकायत मिलती रही है। प्रभारी उपाधीक्षक अस्पताल ने भी महिला चिकित्सक की शिकायत की है। इस दिशा में समुचित कार्रवाई को लेकर उच्चाधिकारी को लिखा जाएगा।
उपेंद्र सिंह, एसडीओ तारापुर, मुंगेर
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मीडियाकर्मियों को देख चेंबर किया बंद
इस मामले पर जब मीडियाकर्मियों ने मोबाइल पर डॉ. नाज बानों से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। जब मीडियाकर्मियों अस्पताल जाकर उनका पक्ष लेना चाहा तो उन्होंने अपना चेंबर अंदर से बंद कर लिया।

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