निर्माण कारखाना का सपना नहीं हुआ साकार, अब निजीकरण की आशंका
मुंगेर। अंग्रेजों ने 08 फरवरी 1862 को जमालपुर में एशिया का सबसे पहले रेल कारखाना की स्थाप
मुंगेर। अंग्रेजों ने 08 फरवरी 1862 को जमालपुर में एशिया का सबसे पहले रेल कारखाना की स्थापना की थी। रेल कारखाना की स्थापना के बाद रेलकर्मियों के आवास, अस्पताल आदि का निर्माण कराया गया। जमालपुर शहर के 70 प्रतिशत भू-भाग रेल क्षेत्र में आता है। इस कारण जमालपुर को रेलनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कारखाना में शुरुआत के दिनों में 25 हजार श्रमिक काम करते थे। आजादी के बाद भी जमालपुर रेल कारखाना ने भारतीय रेल के विकास में अहम योगदान दिया। जमालपुर में निर्मित यूनिवर्सल जैक की मांग दुनिया के कई देशों में है। गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य के कारण जमालपुर रेल कारखाना का लोहा भारतीय रेल मानती रही है। इन्हीं उपलब्धियों के कारण जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा देने की मांग वर्षों से की जाती रही है। इसके लिए ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन जमालपुर कारखाना और ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन ओपेन लाइन शाखा के सदस्य आवाज उठाते रहे हैं। वहीं जमालपुर के राजनीतिक समाजिक कार्यकर्ता भी वर्षो से आंदोलन करते आ रहे हैं। इसके बाद भी निर्माण कारखाना का दर्जा मिलने का सपना साकार नहीं हुआ। केंद्र में एनडीए गठबंधन की दूसरी बार सरकार बनने के बाद लंबित रेल परियोजनाओं के लिए धन राशि जुटाने के लिए सरकार ने रेलवे के उत्पादन इकाई, स्टेशन आदि में पूंजी निवेश आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। इससे जमालपुर कारखाना का भी निजीकरण किए जाने की संभावना उत्पन्न हो गई है। 140 टन क्रेन उत्पादन के साथ ही 20 टन क्रेन, जमालपुर जैक, बॉक्स वैगन निर्माण व मरम्मत आदि में जमालपुर कारखाना का प्रदर्शन सराहनीय है। इसके बाद भी इसे उत्पादन इकाई का दर्जा नहीं दिया गया है। जो दुर्भाग्यपूर्ण है और इस बीच निजीकरण की खबर आते ही कर्मियों और यूनियनों ने विरोध में स्वर बुलंद करना शुरू कर दिया है। ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन ओपेन लाइन शाखा के सचिव केडी यादव ने कहा कि 11 जुलाई 2019 को रामपुर कॉलोनी शाखा कार्यालय जमालपुर से 500 रेल कर्मियों का जत्था मालदा रवाना होगा। 12 जुलाई को मालदा मंडल के समक्ष केंद्र सरकार के निजीकरण व गलत नीतियों के विरोध में आक्रोश मार्च व प्रदर्शन किया जाएगा। जमालपुर कारखाना शाखा सचिव वीरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि 1974 के आंदोलन में पूरे भारत में आंदोलन की रूपरेखा जमालपुर ने ही तय की थी। पूरे भारत में 20 दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल हुआ था। लेकिन जमालपुर रेल कारखाना में 22 दिनों तक हड़ताल रहा। जिसके बाद चौधरी चरण सिंह की सरकार आई और रेलकर्मियों को बोनस दिया गया। रेलवे के निजीकरण के खिलाफ हमलोगों का संघर्ष जारी रहेगा। हालांकि स्थानीय रेल अधिकारी इस संबंध में कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं।

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