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    Bihar, Munger News: बिहार के मुंगेर में सरकारी अस्पताल में दी जा रहीं एक्सपायरी दवाएं... मरीजों की आफत में जान

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 09:01 PM (IST)

    Bihar News Munger News बिहार में सरकार के भरोसे रहने वाले आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। मुंगेर के तारापुर में सरकारी अस्पताल में एक मरीज को एक्सपायरी दवा दी गई है। तारापुर अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं।

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    Bihar News, Munger News: बिहार के मुंगेर के सरकारी अस्पताल में मरीज को एक्सपायरी दवा दे दी गई।

    संवाद सहयोगी, तारापुर (मुंगेर)। Munger News सरकारी अस्पताल में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। ओपीडी में एक मरीज को एक्सपायरी दवा दे गई। मरीज ने जब पत्ते पर तिथि देखी तो दंग रह गए। मामला काफी तूल पकड़ लिया और मरीज ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर व्यवस्था की कलई खोल दी।

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    दरअसल, पांच जुलाई को प्रखंड स्थित वंशीपुर निवासी राहुल कुमार सिंह पत्नी शबनम कुमारी को इलाज के लिए लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे। राहुल ने बताया कि पहले यहां निबंधन काउंटर पर पर्ची पर पत्नी का नाम शबनम की जगह शाबरीन प्रवीण कर दिया गया। इसके बाद राहुल ने उसी पर्ची पर पत्नी का इलाज कराया। चिकित्सक ने दवा लिखी।

    इसके बाद राहुल दवा काउंटर पर दवा लेने पहुंचे। उन्हें कोलेकैल्सीफेरोल ग्रेन्यूल्स 60000 आइयू दवा का दो पाउच दिया गया। इसमें एक पाउच का एक्सपायरी जून माह है। इसके बाद राहुल ने मरीज को दवा खाने से मना कर दिया। इसके बाद राहुल ने इसे इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर दिया। पोस्ट होते ही बवाल मच गया।

    इस संबंध में अनुमंडलीय अस्पताल तारापुर की प्रभारी उपाधीक्षक डा. बिंदु कुमारी ने बताया कि किसी मरीज को एक्पायरी दवा दिया गई है, इसकी जानकारी नहीं है। मरीजों के प्रति स्वास्थ्यकर्मियों को सजग रहना चाहिए। इस तरह की लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी। मामले की पूरी तरह से जांच होगी। इसके बाद विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

    समय सीमा समाप्त से पहले हटा देनी थी दवा

    नियमानुसार दवा स्टोरी एक्सपायरी होने वाली दवा को स्टोर से 10 से 15 दिन पहले हटाना चाहिए। लेकिन यहां तो मरीजों को एक्सपायरी डेट की दवाइयां दी जा रहीं है। संयोग से महिला के पति ने तारीख देख ली। ओपीडी में कई मरीज बिना पढ़े-लिखे आते हैं, जो दवाओं पर लिखी तारीख को नहीं पढ़ते हैं। ऐसे में कभी कभार दवा रिएक्शन कर जाती है। अस्पताल प्रबंधन को इस पर पूरी तरह से शिकंजा कसने की जरूरत है।

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