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    मुंगेर : केशव घर के बाहर कुछ दोस्तों के साथ बैठा हुआ था, तभी गंंगा घाट पर दिखा एक नाव, कहा-school cancel

    By Rajnish KumarEdited By: Dilip Kumar shukla
    Updated: Tue, 15 Nov 2022 03:52 PM (IST)

    मुंगेर हेमजापुर में केशव कुछ दोस्तों के साथ घर के बाहर बैठा हुआ है। स्कूल के समय था। लेकिन सभी खेलने में व्यस्त थे। कुछ बच्चे गंगा घाट किनारे एक नाव पर थे। सभी मस्ती कर रहे हैं। बच्‍चे स्‍कूल ना जाकर इधर उधर भटक रहे थे।

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    मुंगेर गंगा घाट पर नाव के साथ मस्‍ती करते बच्‍चा।

    त्रिभुवन चौधरी, हेमजापुर, मुंगेर। हेमजापुर गांव का केशव घर के बाहर कुछ दोस्तों के साथ बैठा हुआ है। सभी की उम्र 14-15 के आसपास है। बच्चे स्कूल के समय में खेलने में व्यस्त हैं। चंद कदम आगे बढ़ने पर कुछ बच्चे गंगा घाट किनारे एक नाव पर मस्ती कर रहे हैं। यह मस्ती इनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है, पर इन्हें खेलकूद और मस्ती के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा है। बात यहीं पर खत्म नहीं हो जाती आगे गांव से कुछ दूरी पर चांद टोला गांव में कुछ बच्चे, इसमें लड़के और लड़कियां भी हैं। परवल की लत बनाते और कुछ बकरियों को खेत में चराते दिखे। इन बच्चों में ज्यादातर ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो नियमित तौर पर विद्यालय नहीं जाते।

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    ''दैनिक जागरण'' की टीम ने सोमवार को 10:45 बजे हेमजापुर गांव पहुंची। यहां मालूम चला कि शिक्षा विभाग की कोशिशों के बाद भी विद्यालयों में बच्चों का ''ड्राप आउट'' नहीं बंद हुआ है। विद्यालय के एक शिक्षक ने बताया कि वह लोग प्रतिदिन गांव में घूम-घूम कर बच्चों को विद्यालय आने के लिए प्रेरित करते हैं लेकिन कुछ बच्चे विद्यालय नहीं आना चाहते हैं।

    अभिभावक भी कर रहे परहेज

    अभी भी गांव में कुछ ऐसे अभिभावक हैं जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज करते हैं। स्कूलों से ड्राप आउट बच्चे खेल के मैदान, गंगा नदी के किनारे, बाग-बगीचों में गुल्ली-डंडा और माचिस के पत्ते खेलते नजर आ रहे है।

    गांव के प्रबुद्ध जनों की सुने

    सेवानिवृत्त शिक्षक देवदत्त प्रसाद सिंह, शिक्षिका सावित्री देवी, शिक्षाविद् उमेश मंडल का कहना है कि सरकार की कई कोशिशों के बावजूद भी स्कूलों से बच्चों का ड्राप आउट नहीं रूक रहा है। यह बड़ा सवाल है। इसके लिए शिक्षकों और अभिभावक दोनों को जागरूक होना होगा। अभिभावक को अपने बच्चे की निगरानी करनी होगी। नहीं तो शिक्षा के बिना बच्चे का भविष्य अंधकार में होगा।

    विद्यालयों में ड्राप आउट रोकने के लिए कई तरह के सरकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बच्चों को विद्यालय में लाएं और उनका ठहराव सुनिश्चित करें। नामांकित बच्चों को हर हाल में विद्यालय लाना होगा। - अश्वनी कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी

    ड्राप आउट की खास वजह

    • -अभिभावकों में जागरूकता की कमी
    • - विद्यालयों में आधारभूत संरचना की कमी
    • - पर्याप्त मात्रा में शिक्षकों का नहीं होना
    • - मनोविनोद पूर्ण वातावरण का नहीं रहना
    • - बच्चों का विद्यालयों में मन नहीं लगना

    ड्राप आउट रोकने को चलाए जा रहे कार्यक्रम

    • -''चहक'' कार्यक्रम
    • - पोशाक राशि वितरण
    • - डिजिटल व स्मार्ट क्लास की व्यवस्था
    • - मध्याह्न भोजन योजना
    • - खेलकूद की पर्याप्त व्यवस्था
    • - पुस्तकालय की स्थापना

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