मुंगेर में प्रवासियों के दिल में छठ के साथ चुनावी जोश, वोट देने के साथ लोगों को करेंगे प्रेरित
मुंगेर में छठ पर्व के साथ प्रवासी मतदाताओं में आगामी चुनावों को लेकर उत्साह है। वे स्वयं मतदान करने और दूसरों को प्रेरित करने के लिए संकल्पित हैं। प्रवासी मतदाता जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को मतदान के महत्व के बारे में समझाएंगे। युवाओं में भी मतदान को लेकर उत्साह है। जिला प्रशासन चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए तैयार है।
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प्रवासियों की दिल में भी धड़क रहा चुनाव, खुद देंगे वोट, प्रेरित भी करेंगे। फोटो जागरण
त्रिभुवन चौधरी, हेमजापुर (मुंगेर)। लोक आस्था के महापर्व छठ पर गांव लौटे प्रवासियों के दिलों में इस बार आस्था के साथ-साथ लोकतंत्र के प्रति भी गहरा उत्साह उमड़ पड़ा है।
गंगा तट पर छठ व्रत के दौरान सूर्योपासना में शामिल हुए ये प्रवासी अब लोगों से मतदान की अपील करने के लिए कमर कस चुके हैं। इनका कहना है कि इस बार गांव सिर्फ पूजा के लिए नहीं, बल्कि वोट देने के लिए लौटे हैं।
प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि उन्होंने अपने ठेकेदारों से साफ कह दिया है इस बार छठ और मतदान दोनों के लिए गांव जा रहे हैं। ठेकेदार जितना भी रोकने की कोशिश करें, लेकिन इस बार किसी कीमत पर वोट देना नहीं छोड़ेंगे।
कुछ मजदूरों ने मुस्कराते हुए कहा, अगर ज्यादा तंग किया तो दूसरा मजदूर खोज लीजिए, लेकिन वोट हम जरूर देंगे। गांव लौटने की खुशी और जिम्मेदारी दोनों उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।
गंगा किनारे इकट्ठे हुए प्रवासियों ने जब एक स्वर में कहा कि छठ की तरह मतदान भी हमारा पर्व है, तो वहां मौजूद ग्रामीण भी भावुक हो उठे। उनके इस विचार ने गांव में एक नई सोच और मतदान जागरूकता की लहर पैदा कर दी।
प्रवासी मजदूरों ने कहा कि हर पांच वर्ष में चुनाव हमारे विकास की परीक्षा होती है। हम गांव से दूर रहकर भले अपनी मेहनत की कमाई से दो जून की रोटी जुटाते हैं, लेकिन परिवार की सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेदारी सरकार पर ही होती है।
इसलिए हमें ऐसी सरकार चाहिए जो हमारे परिवार की सामाजिक सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करे। प्रवासियों ने बताया कि वे गांव-गांव घूमकर लोगों से मतदान की अपील करेंगे।
प्रमोद सहनी, कन्हैया, जामवंत, रंजीत, विभीषण, सुजीत, संजू, बजरंगी और प्रकाश सहित कई प्रवासियों ने कहा कि इस बार पूरे मन से आए हैं और ठान लिया है कि घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करेंगे।
वे लोगों से कहेंगे सब काम छोड़िए, पहले वोट दीजिए। गंगा किनारे बह रही ठंडी हवा में जब ये परदेशी मतदान की बातें कर रहे थे, तो मानो छठ की भक्ति और लोकतंत्र का उत्साह एक साथ घुल गया हो।
उनके शब्दों में न सिर्फ अपने गांव और परिवार के प्रति प्रेम झलक रहा था, बल्कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति गहरा सम्मान भी दिख रहा था। छठ पर्व की समाप्ति के बाद ये प्रवासी अपने गांवों में मतदाता जागरूकता अभियान शुरू करेंगे।
उनका कहना है कि छह नवंबर को मतदान के दिन वे बिहार की गौरव गाथा लिखेंगे। परदेशियों का यह सामूहिक संकल्प न केवल मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि लोकतंत्र की असली ताकत जनता की भागीदारी में निहित है।

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