Bihar, Munger News: बिहार के मुंगेर में ट्रैक्टर का बना दिया आवासीय प्रमाण-पत्र... सोनालिका के पिता बने बेगूसराय, मां का नाम बलिया
Bihar News Munger News बिहार के मुंगेर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सरकारी कर्मी किस तरह बेपरवाह और आंख मूंदकर काम करते हैं यह इसका जीवंत प्रमाण है। आवास प्रमाण-पत्र के चर्चा में आने के बाद डेटा इंट्री आपरेटर से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसने ट्रैक्टर पुर के रहने वाले सोनालिका चौधरी का निवास प्रमाण पत्र निर्गत किया है।

मनीष, मुंगेर। Bihar News, Munger News मुंगेर में एक अजूबा हुआ है। सदर प्रखंड के राजस्व अधिकारी ने एक ट्रैक्टर का आवासीय प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। सोमवार देर शाम से ही सोनालिका ट्रैक्टर की तस्वीर व इसी नाम से सदर प्रखंड कार्यालय से जारी किया गया यह आवासीय प्रमाण पत्र इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। जिला प्रशासन की जगहंसाई हो रही है।
किसी व्यक्ति ने लापरवाह प्रशासनिक कार्यशैली की परख के लिए एक ट्रैक्टर के नाम व तस्वीर के माध्यम से आवासीय प्रमाण पत्र बनाने के लिए लोक सेवा का अधिकार कानून के तहत आवेदन किया। प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। इसके बाद आवेदक व साइबर कैफै संचालक की खोज हो रही है। प्रमाण-पत्र रद करने की प्रक्रिया अपनाते हुए डेटा इंट्री आपरेटर से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
छह जुलाई को किसी व्यक्ति ने लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत आनलाइन सदर राजस्व अधिकारी के यहां निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कि। इसमें आवेदक का नाम सोनालिका चौधरी, पिता का नाम बेगूसराय चौधरी व माता का नाम बलिया देवी है।
आवेदन के साथ सोनालिका कंपनी के एक ट्रैक्टर की तस्वीर अपलोड की गई है। इसका पता ट्रैक्टरपुर दियारा, डाकघर कुतलुपुर, वार्ड संख्या 17 तथा आवेदन का उद्देश्य खेती-बारी बताया गया है। इसके एक दिन बाद आठ जुलाई को बिना किसी जांच-परख के सदर राजस्व अधिकारी कार्यालय की ओर से इस ट्रैक्टर का निवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया।
सोनालिका नाम से एक आवासीय प्रमाण-पत्र जारी होने की सूचना मिली है। इसकी जांच कर प्रमाण पत्र को रद करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। संबंधित डेटा इंट्री आपरेटर से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि किस पते से यह आवेदन किया गया है। जांच कर संबंधित साइबर कैफे संचालक पर भी कार्रवाई की जाएगी। - कुमार अभिषेक, सदर एसडीओ, मुंगेर
इस प्रकरण के सामने आने के बाद कई सवाल उठ रहा है। पहला यह कि क्या जनता से प्राप्त आवेदनों की बिना उचित माध्यम से जांच किए प्रमाण-पत्र बना दिया जाता है। दूसरा कि आवेदन पत्र की स्क्रूटनी करने का प्रशासन के पास कोई तंत्र नहीं है। यदि कोई सामान्य व्यक्ति आफलाइन या आनलाइन किसी भी प्रकार से आवेदन करता है तथा आवश्यकतानुसार कम समय में प्रमाण-पत्र की मांग करता है तो उसके एक-एक दस्तावेज की जांच की जाती है। उसे अनावश्यक परेशान भी किया जाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।