सेहतमंद और बच्चों को ब्लैक फंगस का खतरा नहीं : डॉ. सुभाष बल्लभ विजेता
मुंगेर। कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों की परेशानी ब्लैक फंगस ने बढ़ा दी है। देश और र

मुंगेर। कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों की परेशानी ब्लैक फंगस ने बढ़ा दी है। देश और राज्य में ब्लैग फंगस के बढ़ते मामले को लेकर लोगों में दहशत व्याप्त है। हालांकि, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष बल्लभ विजेता ने कहा कि हर किसी को ब्लैक फंगस से घबराने की जरूरत नहीं है। सिर्फ शुगर, कैंसर, एचआइवी जैसे रोगों से ग्रस्त मरीजों को ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। इसके अलावा अन्य लोगों को ब्लैक फंगस से कोई खतरा नहीं है। डॉ. संभाष ने कहा कि इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर ब्लैक फंगस को लेकर चल रहे अफवाहों से सभी वर्ग के लोग भयभीत हो रहे हैं। जो लोग पूरी तरह स्वस्थ हैं, उन्हें भी लग रहा है कि कहीं मैं भी चपेट में तो नहीं आ जाऊंगा। मगर सभी को चितित होने की जरूरत नहीं है। सेहतमंद लोग व बच्चे तो बिल्कुल भी नहीं घबराएं। क्योंकि वे खतरे से बाहर हैं।
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चिकित्सक ने कहा : ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा सिर्फ अनियंत्रित शुगर वाले कोविड व पोस्ट कोविड मरीजों को ही है। कैंसर व एचआइवी के मरीज भी कोरोना संक्रमित होने पर हाइ रिक्स जोन में हो सकते हैं। इसके अलावा अन्य लोगों को बहुत अधिक डरने की जरूरत नहीं है। कोविड के कम व मध्यम संक्रमित लोग भी इसके रिस्क से लगभग बाहर हैं। जो लंबे समय से वेंटिलेटर या बाईपेप पर रहे हैं और उन्हें स्टेराइ़ड की हाई डोज देनी पड़ी है, उनको ही रिस्क है। सामान्य लोग व बच्चे तो बिल्कुल इसके खतरे से बाहर हैं। क्योंकि आमतौर पर बच्चों को शुगर नहीं होती। वह कहते हैं कि यह कोई नई बीमारी नहीं है। पहले बहुत ही कम लोगों को यह रोग होता था। इसलिए इसके इंजेक्शन व दवाईयां भी उसी अनुपात में बाजार में रहते थे। मगर अचानक इसकी मांग ज्यादा बढ़ने से उपलब्धता जरूर कम हुई है। उन्होने कहा कि जिला में अब तक दो सस्पेक्टेड ब्लैक फंगस के मरीज हमारे निजी क्लनिक बिहार नेत्रालय में इलाज के लिए पहुंचे थे। लक्षण के अनुरूप उन्हे ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक थी। मरीज बेलन बाजार और जमालपुर के आशिकपुर के थे। हालाकि व दोनों दोबार फॉलोअप के लिए नहीं आए है।
डॉ. सुभाष बल्लभ विजेता, नेत्र विशेषज्ञ मुंगेर
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हवा में होता है ब्लैक फंगसम्यूकरमाइकिस
यह एक फंगल इन्फेक्शन है। यह उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनका इम्यून सिस्टम किसी बीमारी या इसके इलाज की वजह से कमजोर हो जाता है। ये फंगस हवा में मौजूद होता है और ऐसे लोगों में पहुंचकर उनको संक्रमित करता है।
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ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण
आंख और नाक के आसपास दर्द या लालिमा, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी, उल्टी में खून आदि आना प्रमुख लक्षण हैं। --------------------
इनको है ज्यादा खतरा
जिनको को अनकंट्रोल्ड डायबीटीज हो या होस्टेरॉयड ले रहे हों, लंबे वक्त तक आईसीयू में रहे हों या किसी तरह का ट्रांसप्लांट हुआ हो, वोरिकोनाजोल थेरेपी ली हो एंटीफंगल ट्रीटमेंट
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कैसे कर सकते हैं बचाव:
धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाएं तो मास्क जरूर पहनें। बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते वक्त जूते, फूल पैंट्स-शर्ट और दस्ताने पहनें। पर्सनल हाईजीन का ध्यान रखें। रोजाना अच्छी तरह नहाएं साफ सफाई का पूरा ख्याल रखें। ----------------------------
इन बातों को ना करें अनदेखी
नाक जाम है या नाक से काला या खूनी पदार्थ निकले। गाल की हड्डी में दर्द हो। नाक या तालू के ऊपर कालापन आ जाए। दांत में दर्द हो, दांतों में ढीलापन लगे, जबड़े में दिक्कत हो। त्वचा में घाव, बुखार, दर्द या धुंधलापन दिखे, खून का थक्का जमे, छाती में दर्द हो, सांस लेने में दिक्कत हो।
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इन बातों का रखें ध्यान
खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखें। कोरोना से ठीक होने के बाद डायबीटीज रोगी ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। स्टेरॉयड डॉक्टर की सलाह पर ही लें। इनका सही समय, सही खुराक और सही समय तक ही इस्तेमाल करें। ऑक्सीजन थेरेपी के लिए साफ और स्टेराइल पानी का ही इस्तेमाल करें। एंटीबायोटिक और एंटीबायोटिक दवाओं का सोच-समझकर इस्तेमाल करें।
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